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13 जून 1997 को दिल्ली में हुआ था ऐसा ही अग्निकांड



13 जून 1997 को दिल्ली में हुआ था ऐसा अग्निकांड राष्‍ट्रीय राजधानी में रानी झांसी रोड के पास अनाज मंडी इलाके में लगी आग में 43 लोगों की मौत से दिल्‍ली वासी दुखी हैं। लेकिन, दिल्‍ली में आग लगने की यह इकलौती बड़ी घटना नहीं है। इससे पहले भी राजधानी में भीषण अग्निकांड हो चुके हैं। आज से कोई 22 साल पहले भी दिल्‍ली में एक बड़ा अग्निकांड हुआ था जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। आइये जानते हैं दिल्‍ली में कब-कब हुई हैं ऐसी भीषण दुर्घटनाएं।






13 जून 1997 में दिल्‍ली के ग्रीन पार्क इलाके में एक भीषण अग्‍निकांड हुआ था। उस समय उपहार सिनेमा में बार्डर फिल्म लगी थी। रिपोर्टों के मुताबिक, उस दौरान उपहार सिनेमा में आग लग गई जिसकी चपेट में आकर फ‍िल्‍म देख रहे 59 लोगों की मौत हो गई थी। यही नहीं इस भीषण हादसे में 103 से ज्यादा लोग जख्मी भी हुए थे। इस भीषण अग्निकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। रिपोर्टों बताया गया है कि इस हादसे में मरने वालों की संख्‍या इसलिए बढ़ी क्योंकि बाहर निकलने के रास्ते बंद थे। बाद में सिनेमाघर के मालिक सुशील और गोपाल अंसल को हाईकोर्ट ने 18 करोड़ रुपये का मुआवजा पीड़ितों के परिवार वालों को देने का आदेश दिया।


दिलशाद कॉलोनी में चार की हुई थी मौत


साल 2017 में सात जुलाई को यमुनापार के सीमापुरी इलाके में स्थित दिलशाद कालोनी में एक मकान में आग लगने से एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में दो बच्‍चे भी शामिल थे। इस घटना में दो लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। बताया जाता है कि मकान संख्‍या A99 में बिजली के मीटर में शार्ट सर्किट के कारण यह आग लगी थी। मीटर में आग लगी पार्किंग में खड़ी बाइकों तक फैल गई थी जिससे मकान में धुआं भर गया था। दर्दनाक बात यह कि रात ही में परिवार ने मकान में रहने वाले संजय वर्मा की बेटी का जन्मदिन मनाया था। यह घटना सुबह सात बजे हुई थी।


बवाना फैक्‍ट्री अग्निकांड


साल 2018 में 20 जनवरी को दिल्ली के बवाना इलाके में एक फैक्ट्री में भीषण आग लग गई थी जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी। रिपोर्टों में कहा गया है कि इस आग ने दो प्लास्टिक और एक पटाखा फैक्ट्रियों को अपनी चपेट में ले लिया था। इससे हादसा और गंभीर हो गया था। मरने वाले लोगों में कई लोगों की मौत दम घुटने के कारण हुई थी। मृतकों में महिलाओं की संख्‍या भी अधिक थी। रिपोर्टों में कहा गया है कि बुरी तरह आग में घिर चुके कई लोगों ने जान बचाने के लिए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी थी।


इसी साल 12 फरवरी को करोलबाग के होटल अर्पित पैलेस में आग लगने से 17 लोगों की मौत हो गई थी। रिपोर्टों के मुताबिक, करीब 30 लोगों को होटल से सुरक्षित बाहर भी निकाला गया था। यह आग तड़के करीब साढ़े चार बजे शॉर्ट सर्किट से लगी थी। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, होटल में अधिकतर काम लकड़ी का था जिससे आग फैलती चली गई थी और पूरा होटल धुएं के गुबार से भर गया था। यह होटल करीब 25 साल पुराना था। यही नहीं अभी बीते 19 नवंबर को ही करोल बाग के एक घर में आग लगने से चार लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना दोपहर 12 बजे बेदनापुरा इलाके में हुई थी। इसमें चार की मौत हो गई थी।


दिल दहला देती हैं ये घटनाएं 


मई 1999 में भी दिल्‍ली में एक भीषण अग्निकांड हुआ था। रिपोर्टों के मुताबिक, उस साल 31 मई को दिल्‍ली के लाल कुआं केमिकल मार्केट कॉम्‍प्‍लेक्‍स में 57 लोगों की मौत हो गई थी और 27 अन्‍य घायल हो गए थे। शॉप नंबर 898 से शुरू हुई आग ने पूरे मार्केट को अपनी चपेट में ले लिया था। यही नहीं इसी साल छह अगस्‍त को जाकिर नगर इलाके में भीषण आग लग गई थी जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी और 11 अन्‍य घायल हो गए थे। यह आग भी शॉट सर्किट से लगी थी। अभी बीते 16 नवंबर की रात ही बाहरी दिल्ली के नरेला इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एक फैक्ट्री में आग लग गई थी जिसमें एक व्‍यक्ति की मौत हो गई।





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