बॉबी रमाकांत – सीएनएस भारत के मणिपुर राज्य के हेपटाइटिस और एचआईवी से प्रभावित समुदाय ने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ महत्वपूर्ण बात साबित कीः हेपटाइटिस की जाँच और इलाज आरम्भ करने के मध्य 8 घंटे 12 मिनट के औसत समय से अधिक नहीं आना चाहिए। उन्होंने शोध के ज़रिए यह मणिपुर में कर के दिखाया कि जिस दिन व्यक्ति हेपटाइटिस जाँच करवाने आती/ आता है, उसी दिन सभी जाँच प्रक्रिया पूरी करके, यदि वह पॉज़िटिव है तो, इलाज आरम्भ किया जा सकता है। सवाल यह है कि फिर क्यों हेपटाइटिस जाँच और इलाज शुरू होने के मध्य पहले 30-45 दिन लगते थे और अब 5-7 दिन लगते हैं? बारम्बार हेपटाइटिस से संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल के चक्कर लगवाना, हेपटाइटिस इलाज पूरा करने में एक बड़ा रोड़ा है। यदि सरकारों को 2030 तक वाइरल हेपटाइटिस का उन्मूलन करना है तो यह ज़रूरी है कि बेवजह विलम्ब न हो और पूरी कार्यकुशलता से जाँच-इलाज और अन्य देखभाल और सहयोग, प्रभावित व्यक्ति को दिया जाए। यह कहना है मणिपुर के शोधकर्ता नलिनीकांता राज कुमार का जो कम्यूनिटी नेटवर्क फ़ॉर एम्पावरमेंट का नेतृत्व करते हैं, और हेपटाइटिस और एचआईवी समुदाय को प्रभावित
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