*कलीमुल हफ़ीज़* Kalimulhafeez *कोई भी इंसान ज़ुल्म से मुहब्बत नहीं करता, इसके बावजूद इतिहास के हर दौर में ज़ुल्म होता रहा है। इंसान की फ़ितरत है कि जब उसे ताक़त हासिल हो जाती है तो अपने ही भाइयों पर ज़ुल्म करने लगता है, जब तक वो ख़ुदा से न डरता हो। अल्लाह का डर ही ताक़तवर को ज़ुल्म से दूर रखता है। इसीलिये जब-जब ऐसे हुक्मरां हुए जो ख़ुदा का डर रखने वाले थे तब-तब ज़ुल्म और ज़ालिम को अपने पाँव समेटने पड़े। ज़ुल्म करना तो ज़ुल्म है ही, ज़ुल्म सहना भी दरअसल अपने-आप में ज़ुल्म है। ज़ुल्म सहने से ज़ालिम के हौसले बुलंद होते हैं वह और भी ज़्यादा ज़ुल्म करता है।* *ज़ुल्म की उम्र हालाँकि कम होती है। लेकिन इसके नुक़सानात देर तक बर्दाश्त करने पड़ते हैं। हर दौर में ज़ुल्म के ख़िलाफ़ खड़े होने वाले भी पैदा होते रहे। यह कुदरत का निज़ाम है। अल्लाह एक मुद्दत तक ही ज़ालिम को मौहलत देता है। जब ज़ालिम हद से बढ़ता है तो उसके मुक़ाबले पर खड़े होने वालों की हिमायत करके ज़ुल्म का ख़ात्मा कर देता है। ख़ुद हमारे देश में अंग्रेज़ों के अत्त्याचारों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों की उसने मदद की। जिसकी बदौलत उस ज़ुल्म से नजात मिली और आज़ादी की सुबह नसीब हुई।* *
*ज़मीं की आख़िरी तह में उतर जाने को जी चाहा , कुछ ऐसी हालत थी उनकी, के मर जाने को जी चाहा । *इस बेशर्मी के दौर में शर्म किसको आए -? और कौन शर्माए-? और कौन इस हालत में सुधार कराए-? बिजनौर ( हिरा मीडिया सेंटर ) पूरे उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा परिषद की 14 मई से शुरू हुईं विभिन्न परीक्षाएं आज समाप्त हो गईं। ज़िले भर में बनाए गए परीक्षा सेंटरों ने अपनी तरफ़ से परीक्षाओं को सम्पन्न कराने के सभी उचित प्रबंध करने का दावा किया। साथ ही आज शांति पूर्ण परीक्षाओं के संपन्न होने पर चैन की सांस ली। लेकिन मदरसा शिक्षा परिषद की यह परीक्षाएं एक नहीं अनेक सवाल खड़ा कर रहीं हैं । सेंटरों पर परीक्षार्थियों का क्या हाल रहा-? अनेक स्थानों पर परीक्षार्थियों ने दी नीचे दरी पर बैठ कर परीक्षा। नजीबाबाद के पास साहनपुर में मदरसा फारूक उल उलूम इंटर कॉलेज में बने परीक्षा सेंटर पर जहां आस पास के 9 मदरसों के छात्र परीक्षा दे रहे हैं वहां 21 मई को ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी नौशाद हुसैन ने स्वयं निरीक्षण किया। यूं तो सभी सेंटर्स पर नकल विहीन परीक्षाएं कराने का दावा किया गया है। लेकिन परीक्षार्थियों की दुर्दशा