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अलीगढ़ की जामा मस्जिद में लगा है सबसे ज्यादा सोना / 290 साल पहले बनी है यह जामा मस्जिद

#अलीगढ़_की_जामा_मस्जिद_
टीवी सीरियल "कौन बनेगा करोड़पति" के एक सवाल में अमिताभ बच्चन ने पूछा था :-  "भारत के किस धार्मिक स्थल में सबसे ज़्यादा सोने का इस्तेमाल किया गया है?"


Options थे:-


(1) तिरूपती मंदिर।


(2)स्वर्ण मंदिर।


(3)अलीगढ़ की जामा मास्जिद। 


(4)काशी विश्वनाथ मंदिर 


अलीगढ़ की जामा मस्जिद भारत ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे ज्यादा सोना लगी मस्जिद हैl 


अलीगढ़ के ऊपरकोट इलाके में मौजूद जामा मस्जिद ऐसी है, जिसकी तामीर में देश में सबसे ज़्यादा सोना लगा है। स्वर्ण मंदिर से भी ज्यादा।


 उत्तर प्रदेश के शहर अलीगढ की इस जामा मास्जिद की तामीर "मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह" सन् (1719-1728) के शासनकाल में कोल (अलीगढ ) के गवर्नर साबित खान जंग बहादुर ने सन् 1724 में  करवाई थी। 


इस को बनने में चार साल लगे और सन् 1728 में मस्जिद बनकर तैयार हो पाई। ताजमहल बनाने वाले खास इंजीनियरों मे से एक ईरान के "अबू ईसा अफांदी" के पोते ने मस्जिद को तामीर कराया है।


ताजमहल और इस मस्जिद की कारीगरी बहुत कुछ मिलती झूलती  है।
शहर के ऊपरकोट इलाके में 17 गुंबदों वाली यह मस्जिद है यहां एकसाथ 5000 लोग नमाज़ पढ़ सकते हैं। यहां औरतों के लिए नमाज़ पढ़ने का अलग से इंतजाम है। इसे शहदरी (तीन दरी) भी कहते हैं।


देश की शायद यह पहली मस्जिद होगी, जहां सन् 1857 की क्रान्ती के शहीदों की 73 कब्रें भी हैं। इसे गंज-ए-शहीदान (शहीदों की बस्ती) भी कहते हैं तीन सदी पुरानी इस मस्जिद में कई पीढ़ियां नमाज़ अदा कर चुकी हैं। 


290 साल पहले बनी इस जामा मस्जिद में आठवीं पीढ़ी नमाज़ अदा कर रही है। मस्जिद में कुल 17 गुंबद हैं। करीब आठ से दस फुट लम्बी  तीन मीनारें मुख्य गुंबद पर लगी हुई हैं। तीनों गुंबद के बराबर में बने एक-एक गुंबद पर छोटी छोटी तीन मीनारें बनी हुई हैं। 


मस्जिद के गेट और चारों कोनों पर भी छोटी-छोटी मीनारें हैं। सभी खालिस सोने की बनी हैं। याद रहे कि ताजमहल और हमायूँ मकबरे के  मुख्य गुम्बद की मीनारें हो य़ा स्वर्ण मंदिर, इन सब पर सोने की परत चढाई गयीं हैं, जबकि इस मास्जिद के गुम्बदों की मीनारों को ठोस सोने से बनाया गया है एक अंदाजे के मुताबिक गुंबदों में ही 6 क्विंटल सोना लगा है। 


मस्जिद बलाई किले के शिखर पर बनी हुई है और यह जगह शहर का सबसे ऊपरी इलाका है इसी वजह से, इसे शहर के सभी जगहों से देखा जा सकता है।


 मस्जिद के भीतर छह  मकाम हैं जहां लोग नमाज़ अदा कर सकते हैं। मस्जिद का जीर्णोद्धार कई दौर से गुज़रा तथा यह कई वास्तु प्रभावों को दर्शाता है।सफेद गुंबद वाली संरचना तथा खूबसूरती से बने मिनारे मुस्लिम कला और संस्कृति की खास विशेषताएं हैं।
ऍम तनवीर


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