औद्योगिक वृद्घि कम रहने और बॉन्ड प्रतिफल तथा ब्याज दरों पर दबाव के कारण नियत आय वाली प्रतिभूतियों और शेयर बाजार के देश में सबसे बड़े एकल निवेशक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के निवेश पोर्टफोलियो पर असर पड़ रहा है। 2018-19 में एलआईसी के निवेश पोर्टफोलियो का रिटर्न आठ साल के निचले स्तर 7.59 फीसदी रहा, जो पिछले साल की तुलना में 12 आधार अंक कम है। यह जानकारी एलआईसी ने वित्त वर्ष 2019 की अपनी सालाना रिपोर्ट में दी है।इसके परिणामस्वरूप एलआईसी और 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड के प्रतिफल का स्प्रेड पिछले वित्त वर्ष में पांच साल में सबसे कम 23 आधार अंक रह गया, जो इससे पिछले साल 31 आधार अंक था। आंकड़ों से पता चलता है कि प्रतिफल में कमी मुख्य रूप से बीमा कंपनी के निवेश पोर्टफोलियो की वृद्घि की तुलना में शुद्घ आय की वृद्घि कम रहने की वजह से आई है। वित्त वर्ष 2019 में एलआईसी के कुल निवेश पोर्टफोलियो 29.3 लाख करोड़ रुपये पर शुद्घ निवेश आय 2.2 लाख करोड़ रुपये रही। पिछले पांच वर्षों में निवेश पोर्टफोलियो सालाना 12.8 फीसदी की चक्रवृद्घि दर से बढ़कर वित्त वर्ष 2014 के 16 लाख करोड़ रुपये पिछले वित्त वर्ष में 29.3 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसी अवधि में एलआईसी के निवेश पर आय 9.3 फीसदी सीएजीआर से बढ़ी और वित्त वर्ष 2014 के 1.43 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में यह 2.22 लाख करोड़ रुपये हो गई।
एलआईसी मुख्य रूप से नियत आय वाले निवेश साधनों जैसे केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा जारी दीर्घावधि की डेट प्रतिभूतियां शामिल हैं। विश्लेषकों का कहना है कि नियम आय पोर्टफोलियो पर प्रतिफल 10 वषीर्य सरकारी बॉन्ड के प्रतिफल के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। एलआईसी की सालाना रिपोर्ट के अनुसार उसके पोर्टफोलियो में शेयरों की हिस्सेदारी काफी कम है।
केआर चोकसी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी ने कहा कि इक्विटी में निवेश बढ़ाने से उसे बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद मिल सकती है। हालांकि एलआईसी जैसे बड़े संस्थागत निवेशकों को इसमें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है जबकि छोटे निवेशकों के साथ ऐसा नहीं है। कई सूचीबद्घ कंपनियों के पास पूंजी आधार उतना नहीं होता है जो एलआईसी के बड़े निवेश को आकर्षित कर सकें।उन्होंने कहा, 'एलआईसी जैसे बड़े निवेशकों के लिए शेयरों में बड़े निवेश के लिए लिक्विड शेयरों को तलाशना चुनौतीपूर्ण होता है। अगर शीर्ष 100 कंपनियों को छोड़ दें तो बाजार में उतनी गहराई नहीं है।'इन्हीं बंदिशों की वजह से एलआईसी ज्यादा पूंजी वाले लिक्विड शेयरों वाले क्षेत्रों जैसे कि बैंकिंग, कंज्यूमर गुड्स, जिंस एवं ऊर्जा कंपनियां, बिजली, दूरसंचार, वाहन और पूंजीगत वस्तुओं से जुड़ी कंपनियों में निवेश करती है। इस क्षेत्र की कई कंपनियां पिछले पांच साल से औद्योगिक नरमी से जूझ रही हैं। इसकी वजह से भी एलआईसी के निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इस बारे में जानकारी के लिए एलआईसी को ईमेल भेजा गया लेकिन जवाब नहीं आया। ब्ल्यूओसन कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी निपुन मेहता ने कहा कि एलआईसी को अपने पोर्टफोलियो को पारंपरिक निवेश से इतर से विस्तार करना चाहिए ताकि उसे ज्यादा प्रतिफल मिल सके। ऐसा कई तरीकों से किया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'पहले, इक्विटी में ज्यादा निवेश किया जा सकता है जिससे प्रतिफल में इजाफा होगा। दूसरा तरीका ज्यादा जोखिम वाला निवेश जैसे रीट या इनविट हो सकता है।'