Skip to main content

कैसा रहा भाजपा के लिए 2019 का साल

नई दिल्ली: साल 2019 को भाजपा की निर्णायक उपलब्धियों के लिए याद किया जाएगा, जब पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 303 सीटें जीतकर न केवल केंद्र में दोबारा वापसी की, बल्कि मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में भगवा एजेंडे पर नए सिरे से जोड़कर अपने दशकों पुराने वैचारिक घोषणा-पत्र को अमलीजामा पहनाया.


हालांकि, राज्यों में भाजपा के लिये राह आसन नहीं रही क्योंकि कांग्रेस के साथ मिलकर क्षेत्रीय क्षपत्र महाराष्ट्र, झारखंड जैसे राज्यों में उसे सत्ता से बेदखल करने में सफल रहे.


दूसरी ओर पार्टी को संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के चलते बचाव की मुद्रा में भी आना पड़ा.


 

इन मुद्दों पर भारी विरोध प्रदर्शन के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सहित शीर्ष नेताओं को सफाई देनी पड़ी. हालांकि, अभी यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि इन चुनौतियों के बीच पार्टी विचारधारा के बेहद करीब रहे इन मुद्दों को आगे कैसे बढ़ायेगी.


हालांकि, पार्टी नेता 2019 को उम्मीद से बढ़कर वर्ष के रूप में देख सकते हैं, जिसमें जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जे से संबंधित अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त किये गये, तीन बार लगातार तलाक कह कर संबंध विच्छेद करने को आपराधिक बनाया गया, नागरिकता संशोधन कानून बना और उच्चतम न्यायालय के आदेश से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ.


इस साल अप्रैल-मई में हुए आम चुनावों में भाजपा ने 543 सदस्यीय लोकसभा में 303 सीटें जीत कर राष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट छाप छोड़ी. हालांकि, राज्यों में सरकार के हिसाब उसका प्रभाव क्षेत्र 2017 के 71 प्रतिशत से घटकर 35 प्रतिशत रह गया.


अगर साल 2019 के सार पर विचार करें तो 'ब्रांड मोदी' की अपील एक बार फिर से सिद्ध हुई. लेकिन इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हुआ कि अगर मतदाताओं के लिये प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय मुद्दे प्रमुख न हो, तो पार्टी को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.


लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत के साथ सत्ता में आने पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों के बीच भी रिश्ते सहज नहीं रहे.


 

महाराष्ट्र में भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना उससे अलग हो गई. शिवसेना ने विधानसभा चुनाव के बाद राकांपा और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई. बिहार में उसकी सहयोगी जदयू का केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं है.


साल 2019 में अमित शाह का कद और बढ़ा जब उन्हें गृह मंत्री बनाया गया और उन्होंने पार्टी की विचारधारा से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसलों को आगे बढ़ाया.


इसमें चाहे जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जे से संबंधित अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान को समाप्त करने का मुद्दा हो, नागरिकता संशोधन कानून का विषय हो या आतंकवाद निरोधक कानून को मजबूत बनाना हो. इन सभी मुद्दों पर शाह ने सरकार के एजेंडे को धारदार ढंग से आगे बढ़ाया और पूरी स्पष्टता से विपक्ष के हमलों को कुंद किया.


उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पार्टी संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया, इसके बावजूद इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं रहा कि संगठन में मोदी के बाद नंबर दो कौन है.


बहरहाल, अगले वर्ष भाजपा में संगठन के स्तर पर बदलाव होने की उम्मीद है जहां शाह के बाद कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा पार्टी अध्यक्ष बन सकते हैं. इसके साथ ही पार्टी संगठन में नये चेहरों को स्थान मिलने की उम्मीद है.


चुनाव के संदर्भ में भाजपा के समक्ष दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव तात्कालिक चुनौती लेकर आएंगे.


 

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप ने 2015 के चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीत कर बहुमत के साथ सरकार बनाई थी, जबकि भाजपा को सिर्फ तीन सीटों से संतोष करना पड़ा था.


भाजपा नेता दिल्ली की सत्ता में वापसी के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उनके पास केजरीवाल के मुकाबले के लिए चेहरे का अभाव है. केजरीवाल अपनी लोकलुभावन योजनाओं के बल पर सत्ता में वापसी की आस लगाए हुए हैं.


बिहार में जदयू के नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा, लोजपा गठबंधन की सरकार है. कई प्रेक्षकों का मानना है कि यह गठबंधन अच्छी स्थिति में है, जिसने लोकसभा चुनावों में एक सीट को छोड़कर सभी पर जीत दर्ज की थी.


ऐसा भी कहा जा रहा है कि कुमार और भाजपा के बीच तालमेल एकदम ठीक नहीं है, और सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद उभर सकते हैं. हालांकि संबंधों को पटरी पर लाने के लिए शाह ने कहा है कि कुमार एक बार फिर विधानसभा चुनाव में एनडीए का नेतृत्व करेंगे


Popular posts from this blog

भारतीय संस्कृति और सभ्यता को मुस्लिमों से नहीं ऊंच-नीच करने वाले षड्यंत्रकारियों से खतरा-गादरे

मेरठ:-भारतीय संस्कृति और सभ्यता को मुस्लिमों से नहीं ऊंच-नीच करने वाले षड्यंत्रकारियों से खतरा। Raju Gadre राजुद्दीन गादरे सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता ने भारतीयों में पनप रही द्वेषपूर्ण व्यवहार आपसी सौहार्द पर अफसोस जाहिर किया और अपने वक्तव्य में कहा कि देश की जनता को गुमराह कर देश की जीडीपी खत्म कर दी गई रोजगार खत्म कर दिये  महंगाई बढ़ा दी शिक्षा से दूर कर पाखंडवाद अंधविश्वास बढ़ाया जा रहा है। षड्यंत्रकारियो की क्रोनोलोजी को समझें कि हिंदुत्व शब्द का सम्बन्ध हिन्दू धर्म या हिन्दुओं से नहीं है। लेकिन षड्यंत्रकारी बदमाशी करते हैं। जैसे ही आप हिंदुत्व की राजनीति की पोल खोलना शुरू करते हैं यह लोग हल्ला मचाने लगते हैं कि तुम्हें सारी बुराइयां हिन्दुओं में दिखाई देती हैं? तुममें दम है तो मुसलमानों के खिलाफ़ लिख कर दिखाओ ! जबकि यह शोर बिलकुल फर्ज़ी है। जो हिंदुत्व की राजनीति को समझ रहा है, दूसरों को उसके बारे में समझा रहा है, वह हिन्दुओं का विरोध बिलकुल नहीं कर रहा है ना ही वह यह कह रहा है कि हिन्दू खराब होते है और मुसलमान ईसाई सिक्ख बौद्ध अच्छे होते हैं! हिंदुत्व एक राजनैतिक शब्द है ! हिं

समाजवादी पार्टी द्वारा एक बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन

 महेश्वरी देवी की रिपोर्ट  खबर बहेड़ी से  है, आज दिनांक 31 मार्च 2024 को समाजवादी पार्टी द्वारा एक बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन मधुर मिलन बारात घर बहेड़ी में संपन्न हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि लोकसभा पीलीभीत प्रत्याशी  भगवत सरन गंगवार   रहे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश महासचिव स्टार प्रचारक विधायक (पूर्व मंत्री )  अताउर रहमान  ने की , कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  अता उर रहमान  ने कहा की प्रदेश में महंगाई बेरोजगारी चरम पर है और किसान बेतहाशा परेशान है उनके गन्ने का भुगतान समय पर न होने के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हैं। उन्होंने मुस्लिम भाइयों को संबोधित करते हुए कहा की सभी लोग एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को हटाकर एक सुशासन वाली सरकार (इंडिया गठबंधन की सरकार) बनाने का काम करें और भगवत सरन गंगवार को बहेड़ी विधानसभा से भारी मतों से जिताकर माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी के हाथों को मजबूत करें | रहमान जी ने अपने सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी से कहा कि वह ज्यादा से ज्यादा इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को वोट डलवाने का काम करें और यहां से भगवत सरन गंगवार को भ

ज़मीनी विवाद में पत्रकार पर 10 लाख रंगदारी का झूठे मुकदमें के विरुद्ध एस एस पी से लगाई जाचं की गुहार

हम करेंगे समाधान" के लिए बरेली से रफी मंसूरी की रिपोर्ट बरेली :- यह कोई नया मामला नहीं है पत्रकारों पर आरोप लगना एक परपंरा सी बन चुकी है कभी राजनैतिक दबाव या पत्रकारों की आपस की खटास के चलते इस तरह के फर्जी मुकदमों मे पत्रकार दागदार और भेंट चढ़ते रहें हैं।  ताजा मामला   बरेली के  किला क्षेत्र के रहने वाले सलमान खान पत्रकार का है जो विभिन्न समाचार पत्रों से जुड़े हैं उन पर रंगदारी मांगने का मुक़दमा दर्ज कर दिया गया है। इस तरह के बिना जाचं करें फर्जी मुकदमों से तो साफ ज़ाहिर हो रहा है कि चौथा स्तंभ कहें जाने वाले पत्रकारों का वजूद बेबुनियाद और सिर्फ नाम का रह गया है यही वजह है भूमाफियाओं से अपनी ज़मीन बचाने के लिए एक पत्रकार व दो अन्य प्लाटों के मालिकों को दबाव में लेने के लिए फर्जी रगंदारी के मुकदमे मे फसांकर ज़मीन हड़पने का मामला बरेली के थाना बारादरी से सामने आया हैं बताते चले कि बरेली के  किला क्षेत्र के रहने वाले सलमान खान के मुताबिक उनका एक प्लाट थाना बारादरी क्षेत्र के रोहली टोला मे हैं उन्हीं के प्लाट के बराबर इमरान व नयाब खां उर्फ निम्मा का भी प्लाट हैं इसी प्लाट के बिल्कुल सामन