खरबूजा बनाम छुरी -एनआरसी एक छलावा है
आज खरबूजा जनता है और छुरी सरकार ।
एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार)
बढ़ते बेरोज़गारी, भ्रटाचार, महंगाई, और भारत की गिरती आर्थीक व्यावस्था को छुपाने के लिये भारत सरकार साम, दाम, दण्ड, भेद कि नीति अपना कर तमाम हरबे इस्तेमाल कर रही है। छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर गिरे हर हाल में नुक्सात जनता का होना है ।
भारत की सत्ता गलत लोगों के हाँथ में भारत की जनता ने सौंप दिया है इसका परिणाम भी भारत की आम जनता को ही भुगतना पड़ेगा और अन्य देशों की तुलना में सब से अधिक बेरोज़गारी, भ्रटाचार, महंगाई, के रूप में भुगत रही है।
बेरोज़गारी, भ्रटाचार, महंगाई, इस मुद्दे को छिपाने के लिये यह तमाम हरबा इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे एनआरसी, तीन तलाक़, कैब, 370, सैनिकों पर हमला, सर्जिकल स्ट्राइक, इत्यादि का हंगामा खड़ा कर के देश मे बढ़ते बेरोज़गारी, महंगाई, भर्ष्ट्राचार, जैसे मुद्दों को दबा दिया ।
इसलिये की वर्तमान सत्ताधारियों ने यह सारी सीख कांग्रेसियो से 70 वर्षो में हांसिल कर यह समझ चुके की भारत की 80 प्रतिशत जनता अशिक्षित, अन्धविश्वासीय, और भावुक है जिसका लाभ धर्म का डर दिखा कर आसानी से उठाया जा सकता है और आज वर्तमान मनुवादी भाजपाई सरकार जनता को धर्म का घूँट पिला कर अमीरी और गरीबी की खाई को गहरी बना दिया है । गरीब , गरीबी की इतने गहरी खाई में जा गिरे है कि उन्हें उस खाई से ऊपर आना मुश्किल से हो गया है और मनुवादी इतने अमीर और मज़बूत हो गए हैं कि वह किसी गरीब की उनके गरीबी की खाई से निकलने ही नहीं देंगें ।
इसलिये अब भारत को मनुवादी मुक्त अमीरी रेखा बनाने कर सभी को समान अधिकार दिलाने के लिये एक क्रांति लानी होगी ।
अभी ऐसी कौनसी आफत आ गयी थी जिसके कारण आज आनन फानन में एनआरसी का बिल पास कराना पड़ा ? 😢😢😢 भाजपा सरकार अपने 6 सालों के कार्यकाल में बढ़ती बेरोज़गारी , भरष्ट्राचा, महंगाई को समाप्त करना तो दूर इस पर चर्चा भी नही किया जब जब चर्चा करने की बात उठाई गई तब तब कोई न् कोई स्कैण्डल खड़ा कर आम जनता का रुझान हिन्दू मुसलमान , गाये रक्षा, महिलाओं बालिकाओं, के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या यह तमाम मामले पर हंगामा कर ध्यान भटकाती रही । और भारत के जनता की गढ़ी कमाई माल्या, नीरव मोदी , इधर उधर, सारे गुजराती अडानी, अम्बानी , रामदेव पतञ्जलि जैसे भारत कुछ अपने विशेष लोगों को बांट दिया और बांट रहे हैं, जनता हिन्दू शब्दों के जाल में उलझ कर इतनी अंधभक्त, हो गई कि अपनी बर्बादी अपनी खस्ताहाली ही भूल गयी ।
लेकिन सवाल है कि जनता को कैसे समझाया जाये की भारत मे लोकतंत्र के नाम पर भरष्ट्राचारी धनपति बाबा साहेब के संविधान का धज्जियां उड़ा रहे है और पढ़े लिखे स्वार्थी लोग सांसद , विधायक , मोदिशाह एंड कम्पनी भारत सरकार लिमिटेड में मालिक का साथ दे रहे हैं यही सब से बड़ा अफसोस है । करना क्या - जनता में सद्बुद्धि आने की प्रतीक्षा करनी होगी ।।
एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार)