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नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा हुई

 

नई दिल्ली : लोकसभा में सोमवार शाम को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा हुई. गृहमंत्री अमित शाह ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह वर्षों की मांग है इस पर सभी को पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठकर सोचना चाहिए. उन्होंने किसी देश से नागरिक के पलायन की मजबूरी पर कहा कि कोई भी व्यक्ति कोई देश या गांव ऐसे ही नहीं छोड़ता है. वे प्रताड़ित होकर यहां आए हैं. उन्हें किसी भी प्रकार के अधिकार नहीं दिया गया है. ये लाखों करोड़ लोग नर्क जैसा जीवन जी रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कड़ा विरोध किया.


शाह ने कहा, 'मैं सदन को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि इस बिल से लोगों को न्याया मिलेगा. लोग 70 वर्षों से इसका इंतजार कर रहे हैं. इस बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. हम नागरिकता बिल को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. अल्पसंख्यकों को लेकर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं कर रहे हैं. यह बिल हमारे घोषण पत्र के मुताबिक है.'


विपक्षी सदस्यों को चुनौती देते हुए शाह ने कहा, 'आप यह साबित करें कि यह बिल किसी के साथ भेदभाव करता है. अगर भेदभाव साबित हुआ तो यह बिल मैं वापस ले लूंगा'.


 

उन्होंने कहा कि इस देश में कई बार आर्टिकल 14 का उल्लंघन हुआ है. जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्होंने ही अपनी सरकार के दौरान कई बार आर्टिकल 14 का उल्लंघन किया है.


शाह ने सदन में कहा कि किसी के पास राशन कार्ड है या नहीं हम उनको नागरिकता देंगे. सीमाओं की सुरक्षा सरकार का कर्तव्य है. मणिपुर में इनर लाइन परमिट लागू होगा. इस बिल के जरिए किसी का भी अधिकार नहीं छीना जा रहा है. हम बदलाव को स्वीकार करते हैं. बदलाव को समाहित करते हैं.


शाह ने कहा कि आज जो अल्पसंख्यक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं. इनको यहां नागरिकता देने का प्रावधान है. शाह ने दूसरे देशों का हवाला देते हुए कहा कि वे भी बाहर के लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून नहीं बनाए हैं. हमने भी इसे बनाया है. इसलिए हमने एकल नागरिकता का प्रावधान दिया है. विविधता में एकता ही हमारे देश को एक रखने का मंत्र है. सहिष्णुता हमारा गुण है. बदलाव को हम अपनी संस्कृति में समाहित करते हैं.


पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के लोगों को यह बता देना चाहिए कि जो लोग इन देशों से आए, जिस दिन यहां आए उस दिन से ही उनको नागरिकता दी जाएगी. अल्पसंख्यक प्रवासी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई चल रही होगी तो वह भारत की नागरिकता मिलने के साथ ही खत्म हो जाएगी.


गृहमंत्री शाह ने कहा यह नागकिरता बिल 2014 और 2019 के आम चुनावों में हमारी पार्टी का घोषणा पत्र का हिस्सा रहा है.


 

शाह ने कहा कि इस बिल को लेकर मैंने जानकारों के साथ 119 घंटे तक बैठक की है. इस बिल से किसी को भी भयभीत होने की जरूरत नहीं है.


वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा यह बिल पूरी तरह से अंसवैधानिक है. यह संविधान की धाराओं के विरुद्ध है. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से पूछा कि अगर आप संविधान के मुताबिक एक नागरिक के साथ भेदभाव नहीं कर सकते तो नागरिकता देने में कैसे?


तिवारी ने कहा कि हम शरणार्थियों को पनाह देने के खिलाफ नहीं है. हम चाहते हैं कि सरकार एक व्यापक कानून लेकर आए. उन्होंने कहा कि जब भी कोई शरणार्थी भारत आता है तो उसका धर्म नहीं देखा जाता है. उन्होंने कहा जिन तीन देशों का जिक्र किया गया है उनका राजनीतिक धर्म इस्लाम है.


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