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संगत का असर

संगत का असर"


व्यक्ति क्या बनेगा कैसे बोलेगा कैसे व्यवहार करेगा। उसके आचरण से पता चल जाता है कि उसकी संगत कैसे लोगो के साथ है या वो कैसे लोगों के साथ रहा है। उसके हाव भाव से उसके बोल से उसके रहन सहन से पता चल जाता है।



इसके लिये सबसे पहले हमारे माता पिता जिनके साथ संगत में हम रहते है दूसरा हमारा पड़ोस और उसके मित्र कैसे है व्यक्ति बचपन से इनसे प्रभावित रहता है।


जैसे पहले के माता पिता सुबह जल्द उठ जाते थे तो अगली पीढ़ियां भी जल्द उठने वाली हुई। पर इस पीढ़ी के माता पिता देर तक उठते है तो अगली पीढ़ी देर से उठने वाली रहेगी। गाँव मे बच्चे बीड़ी पीना सीख जाते थे क्योंकि उनके बड़े उनसे चूल्हे से बीड़ी जला कर लाने को कहते थे तो उस बीड़ी के एक दो कश वो बालक भी लगा लेता था तो गाँव मे हर शख्स बीड़ी पीता दिखाई देगा। आज शहरों में इसकी जगह मदिरा ने ले ली है रात्रि को सभी थकान से बिज़नेस की वजह से तनाव में मदिरा घर मे ही ले लेते है तो बालक आपको आदर्श मानता है तो वो भी पीछे से ढक्कन ले लेता है।


तो कहने की बात है है कि जैसे आपकीं बिटिया रोज़ नया गिफ्ट अपने मित्रों से ला रही है या बाहर समय बिता रही है इसी तरह आपका लड़का किन मित्रो के साथ समय बिताता है। रात्रि में दस बजे के बाद निशाचरों का समय होता है उस समय आपको उसे पूछना चाहिये वो हो सकता है नाराज़ हो जाये पर आपका किरदार यही है क्योंकि देश मे हर 4 मिनट में एक रेप हो रहा है तो उसके पीछे हमारा बेपरवाह होना अपने बच्चो की और से है।


आपके योगदान में आपके माता पिता, पड़ोस और मित्रो का बहुत बड़ा रोल रहा है तो उसे भी ये ही सब दीजिये जिससे वो भी आपकीं तरह संस्कारी निकले। अगर कुछ गलत निकलता है तो आप अपनी जिम्मेदारी से बच नही सकते। इसलिये एक कहावत भी है।


बाप पे पूत और माँ पे घोड़ा
बहुत नही तो थोड़ा थोड़ा।।


मनोज शर्मा "मन"


101,प्रताप खंड , विश्वकर्मा नगर, दिल्ली 110095


मोब. न. 9871599113



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