विवादित नागरिकता का संशोधन कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हिंसा भड़कने के बाद सफदरजंग अस्पताल में घायल 3 लोगों ने दम तोड़ा
फिरोजाबाद के अस्पताल से करीब 40 साल के मोहम्मद शफीक और 20 साल के मुकीम को क्रमश: 24 दिसंबर और 22 दिसंबर को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तीस साल के मोहम्मद हारून को बुधवार को एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था।एम्स के ट्रॉमा सेंटर के एक डॉक्टर ने बताया, 'हारून को गर्दन पर गोली लगी थी और उन्हें फिरोजाबाद के एक अस्पताल से यहां लाया गया था. बृहस्पतिवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.'
बहरहाल, उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की कि हारून उत्तर प्रदेश में।सफदरजंग अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है कि शफीक और मुकीम को उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन के दौरान ही गोली लगी है या नहीं. उन्होंने इस पर भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि दोनों के जख्म गोलियों के हैं या नहीं.
सफदरजंग अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, 'अस्पताल की पुस्तिका में लिखा है कि इन दोनों को फिरोजाबाद के एक अस्पताल से स्थानांतरित किया गया है और 'संदिग्ध गोली के जख्म' का इलाज हुआ. दोनों ही चिकित्सा-कानूनी मामले हैं. शफीक की मौत आज तड़के हो गई जबकि अन्य की मौत 23 दिसंबर को हो गई.। फिरोजाबाद में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ दर्जनों लोगों ने प्रदर्शन किया और कथित तौर पर घायल हुए. द वायर ने इन तीन मृतकों में से एक मोहम्मद शफीक के परिजनों से दिल्ली में बात की थी.
फिरोजाबाद के नैनी किला इलाके में रहने वाले 38 वर्षीय शफीक की 33 वर्षीय पत्नी रानी ने बताया था, 'मेरे पति चूड़ी के कारखाने में काम करते हैं. 20 दिसंबर को करीब चार बजे के आसपास वे काम से वापस आ रहे थे. रास्ते में पुलिस की जिप्सी खड़ी थी, उन्होंने दो मोटरसाइकिलों को गिरा दिया. इसी दौरान भगदड़ हुई. एक साथ ढेर सारी गोलियां चलने लगीं और इसी में उनके दिमाग पर गोली मारी गई. उन्हें पुलिस की गोली लगी. वे वहीं पर गिर गए. मेरे देवर ने यह घटना देखी और वे तुरंत मोटरसाइकिल से उन्हें ट्रामा सेंटर ले गए और वहां से उन्हें आगरा भेज दिया गया।इससे पहले विवादित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में देश भर में 25 लोगों की मौत हो चुकी थी. इसमें से कम से कम 18 लोगों की मौत अकेले उत्तर प्रदेश में हुई थी. जाहिर है अब उत्तर प्रदेश में मौतों का आंकड़ा 18 से बढ़कर 21 हो चुका है.
बता दें कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह समेत तमाम आला अधिकारियों ने दावा किया था कि किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है. हालांकि एक मृतक मोहम्मद सुलेमान के मामले में बिजनौर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उनकी मौत पुलिस द्वारा आत्मरक्षा में चलाई गई गोली से हुई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के आधार पर)