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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नामांकन देर से दाखिल कराने को लेकर मंगलवार को मचा बवाल

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नामांकन देर से दाखिल कराने को लेकर मंगलवार को बवाल मच गया। आनन-फानन में खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। अफवाहों को विराम देने और सत्यता सामने लाने के लिए नई दिल्ली चुनाव कार्यालय के अधिकारियों को तुरंत मैदान में उतरना पड़ा। पड़ताल के बाद देर रात नई दिल्ली चुनाव कार्यालय ने बवाल को सोचा-समझा षड्यंत्र बताया।
साथ ही कहा कि सोशल मीडिया के जरिये फैलाई गई सूचनाएं भ्रामक पाई गईं। केजरीवाल के नामांकन को दाखिल करने में उतना ही वक्त लगा, जितना नियमानुसार लगना चाहिए था। जो भी देर लगी उसके पीछे कोई षड्यंत्र नहीं था।नई दिल्ली जिला चुनाव कार्यालय द्वारा जारी और आईएएनएस के पास मौजूद आधिकारिक बयान के मुताबिक, "एक नामांकन पत्र की पड़ताल और फिर उसे दाखिल कराने में 35 मिनट का वक्त लगता ही है। मंगलवार को चूंकि नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों की तादाद कहीं ज्यादा थी। नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया बेहद संवेदनशील होती है। इसलिए हर नामांकन की पड़ताल भी गहराई से की जाती है। इस प्रक्रिया में वक्त लगना स्वभाविक है।"जारी बयान में कहा गया है कि पीठासीन अधिकारी के सामने एक साथ बहुत सारे नामांकन पत्र पहुंच गए थे। हर उम्मीदवार को बाकायदा टोकन दिया गया था। क्रमवार ही मुख्यमंत्री को भी टोकन मिला। पहले से क्रम में लगे उम्मीदवारों के नामांकन पहले दाखिल किए गए। जैसे ही मुख्यमंत्री की बारी आई, उनका नामांकन पड़ताल के बाद दाखिल करा लिया गया।

चुनाव कार्यालय के बयान के मुताबिक, नामांकन पत्र दाखिल करने का काम आरपी एक्ट की धारा 33 के तहत किया जाता है। हर उम्मीदवार को चार प्रतियों में नामांकनपत्र दाखिल करना होता है। चारों प्रतियों की अलग-अलग गंभीरता से पड़ताल की जाती है। इस प्रक्रिया में वक्त लगना स्वभाविक है।दिल्ली चुनाव विभाग के अधिकृत बयान में आगे बताया गया है कि 21 जनवरी को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख थी। इसलिए भी नई दिल्ली जिले में संबंधित पीठासीन अधिकारी के यहां भीड़ ज्यादा हो गई थी। करीब 66 उम्मीदवारों की भीड़ एक साथ नामांकन दाखिल करने के लिए पहुंच गई थी। भीड़ पैदा हुए हालात के चलते ही पीठासीन अधिकारी कार्यालय ने नियमानुसार 3 बजे के बजाय देर शाम तक भी नामांकनपत्र स्वीकार किए गए।


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