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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान पुलिस उत्पीड़न तथा व्यक्तिगत शिकायतों पर कार्यवाही का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस उत्पीडऩ तथा व्यक्तिगत शिकायतों पर कार्रवाई का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया है। सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट से उच्च न्यायालय संतुष्ट नजर नहीं आया। Also Read - विपक्षी दलों पर जमकर बरसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ...उन्होंने कांवड यात्रा को रोकने का प्रयास किया, हमने गंगा यात्रा भी निकाली: योगी न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस के खिलाफ कितनी शिकायतें दर्ज की गई। कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने लोग घायल हुए। घायलों को मिली चिकित्सा सुविधा की जानकारी दी जाये। न्यायालय ने यह भी कहा कि मीडिया रिपोर्ट की सत्यता की जांच की गयी या नहीं। मृत लोगों के घर वालों को शव विच्छेदन रिपोर्ट दी गयी या नहीं। न्यायालय ने राज्य सरकार को 17 फरवरी तक ब्योरे के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मृत लोगों के परिवार वालों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने पीयूसीएल, पीएफआई, अजय कुमार सहित छह लोगों की जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया। राज्य सरकार का पक्ष अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व केंद्र सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने रखा। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी, महमूद प्राचा, सहित कई अन्य वकीलों ने बहस की। याचिका में मांग की गई है कि पुलिस उत्पीडऩ के खिलाफ शिकायत की एफआईआर दर्ज करायी जाये और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश या एसआईटी से घटना की जांच करायी जाये। घायलों का इलाज कराया जाये। याचियों का कहना है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों का उत्पीडऩ किया है, जिसकी रिपोर्ट विदेशी मीडिया में छपने से भारत की छवि को नुकसान हुआ है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, मेरठ व अन्य नगरों में पुलिस उत्पीडऩ के खिलाफ शिकायतों की विवेचना कर कार्रवाई की जाय। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि केन्द्रीय सुरक्षा बल राज्य सरकार के बुलाये जाने पर भेजे गए। कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए उचित कार्रवाई की गयी है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि विरोध प्रदर्शन में हुई हिंसा में बड़ी संख्या में पुलिस के जवान भी घायल हुये है। पुलिस पर फायरिंग की गई। प्रदर्शनकारियों ने तोडफ़ोड़, आगजनी कर सरकारी व व्यक्तिगत संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिसकी विवेचना की जा रही है। न्यायालय ने हर घटना व शिकायत पर की गयी कार्रवाई का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया है।


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