Skip to main content

नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनों पर प्रधानमंत्री ने

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों पर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुप्पी साध रखी है. मगर जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को वे निशाना बनाते रहे हैं. भाजपा के कई मंत्री और नेता ‘लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार द्वारा पास किए गए कानून’ का विरोध करने वाले युवाओं की निंदा करते रहे हैं. लेकिन एक समय था जब नरेंद्र मोदी ने खुद एक युवा नेता के तौर पर 1978 में, अपनी पहली गुजराती किताब ‘संघर्षमा गुजरात’ (साधना पुस्तक प्रकाशन, अहमदाबाद) में लिखा था कि गुजरात ने इंदिरा गांधी की इमरजेंसी का किस तरह प्रतिकार किया था. तब करीब 20 साल से कुछ ऊपर के मोदी ने इस किताब में बताया है कि उन्होंने इस प्रतिकार में किस तरह सक्रिय भागीदारी की थी.


मोदी की सार्वजनिक और भूमिगत गतिविधियों के ब्यौरे देने वाली इस किताब की शुरुआत इस तरह होती है. ‘इतिहास गवाह है, राजमहलों और संसदों ने इतिहास नहीं बनाई है, संसद पर दस्तक देने वालों ने संसद भी बनाया है, इतिहास भी बनाया है.’


बुद्धिजीवियों की तारीफ


किताब के एक अध्याय में ‘बौद्धिकों’ की भूमिका की प्रशंसा की गई है, जबकि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए और अब प्रधानमंत्री के रूप में भी मोदी इस जमात के खिलाफ़ नफरत उगलते रहे हैं. लेकिन तब, युवाओं को ‘विद्रोह’ करने का आह्वान करते हुए उन्होंने उनके नाम एक पत्र जारी किया था. यह 21 नवंबर 1976 की बात है, जब अहमदाबाद में युवाओं का एक सम्मेलन बुलाया गया था. पूर्व मुख्यमंत्री और गांधीवादी नेता बाबूभाई जे पटेल स्वतंत्र पार्टी के नेता पीलू मोदी के साथ इसमें भाग लेने वाले थे. उस समय मोदी भूमिगत थे. लेकिन युवाओं के इस सम्मेलन के लिए उन्होंने एक संदेश तैयार किया था और इसमें लिखा था कि इस सम्मेलन को अहमदाबाद में करने की अनुमति नहीं दी गई है इसलिए इसे वहां से 20 किलोमीटर दूर बारेजादी में किया जा रहा है. मोदी के मुताबिक, ‘इस किताब के लेखक का संदेश इस सम्मेलन में पढ़कर सुनाया गया, और जनसंघ के सदस्यों ने ‘सैकड़ों पुलिसवालों की मौजूदगी में’ इस संदेश को बांटा।आज जब मोदी प्रदर्शनकारियों को ‘आत्मविश्लेषण’ करने के लिए कह रहे हैं या उनकी पहचान उनके पहरावे से कर रहे हैं तब उन्हें अपने इस पत्र को पढ़ने के बारे में सोचना चाहिए, जो उन्होंने तब लिखा था-युवाओ !



नरेंद्र मोदी ने खुद एक युवा नेता के तौर पर 1978 में, अपनी पहली गुजराती किताब ‘संघर्षमा गुजरात’ (साधना पुस्तक प्रकाशन, अहमदाबाद) में लिखा था। चित्र सौजन्य: उर्वश कोठारी


आप भारतमाता के प्यारे हैं, भारत के भविष्य के लिए उम्मीद की एक किरण हैं. विजयी भारतमाता की संतानो, जरा सोचो! हमें आज किस दिशा में धकेला जा रहा है? अगर आप आज नहीं जागे, तो जरा सोचिए कि कल आपको किस परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा।भारत के भविष्य को आप ही दिशा देंगे. चूंकि युवा ही आज समाज के अगुआ हैं और कल देश के नेता बनेंगे… तब यह किसका उत्तरदायित्व है कि आज की समस्याओं का समाधान करे और देश को चमकाए? इसका उत्तर स्पष्ट है— यह उत्तरदायित्व आपका ही है.


देश के साथ फरेब करके उसे चुप करा दिया गया है. कल ऐसी गुलामी में जीने के लिए कौन मजबूर होगा? बेशक आप ही मजबूर होंगे. आज की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, अनैतिकता, भ्रष्टाचार, और चरम यातना कल किसे भुगतनी पड़ेगी? आपको. लोकतंत्र को जिस तरह नष्ट किया गया है और तानाशाही थोप दी गई है, उस रास्ते पर कल किसे सिर झुकाकर चलना पड़ेगा? आपको, देश में आज दूसरी आज़ादी की जो लड़ाई चल रही है उसमें अगर आप अपना बलिदान नहीं देते तो कल इतिहास किसे कोसेगा? आपके सिवा किसी और को नहीं. शहीदों के लहू का महत्व न समझने के लिए इतिहासकर जिन लोगों के नामों की सूची बनाएंगे उसमें किसका नाम होगा? बेशक, आपका. युवाओ! हमेशा याद रखें कि आपकी भूमिका सिर्फ इतिहास लिखने या पढ़ने तक सीमित नहीं है, आपका काम इतिहास बनाना भी है. कालपुरुष कालपट पर हर दिन इतिहास लिखता है. उसे सामग्री मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी किसकी है? आपकी।इस देश का इतिहास कैसे लिखा जाएगा? सूखी हुई स्याही और कलम से? या युवाओं के हृदय के रक्त से? या बहनों की पवित्र राखी और सतियों के सिंदूर से? इसका फैसला कौन करेगा? आप।लोकतंत्र की विजय और तानाशाही की हार में बस एक कदम का फासला रह गया है. विजय की ओर वह एक कदम उठाने का काम किसका है? आपका.जेलों में बंद, कमजोर भारतमाता की तरह असहाय लोगों को मुक्त कराने का कर्तव्य किसका है? आपका. भारतमाता की संतानो! व्यापक और असहनीय अत्याचारों, भारी असंतोष और असहायता से लड़ने के महान कर्तव्य और भारी चुनौती के सामने कौन खड़ा होगा? सुनहरे भविष्य के रचनाकार आप ही हैं!आप अपने आंदोलन की शुरुआत कहां से करेंगे? प्रतिद्वंद्वी की पहचान करने के बाद आपको उपयुक्त हथियार उठान पड़ेगा. युवाओ, अगर आप आगे नहीं आते हैं तो भारत का आंदोलन अपने मार्ग से भटक जाएगा. अगर आप चुनौती को स्वीकार नहीं करते तो भविष्य आपको आज का युवा मानने से इनकार कर देगा, क्योंकि युगों से असली युवा दमन का मुक़ाबला करते रहे हैं. उन्होंने दमन और अन्याय के सामने कभी सिर नहीं झुकाया, वे कभी रुके नहीं, कभी थके नहीं.
तो आज आप चुप क्यों हैं? युवाओं की शानदार परंपरा में चार चांद लगाने का ऐतिहासिक मौका आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. उठो, जागो, और भारतमाता की दूसरी आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़ो !


दोस्तो! हम सब आज़ादी के बाद की पैदाइश हैं. गुलामी में दम तोड़ना हमें मंजूर नहीं. दम लगाकर गुलामी तोड़ना हमारा काम है… यही यौवन है!
आपका
(युवा भूगर्भ साथी)


Popular posts from this blog

भारतीय संस्कृति और सभ्यता को मुस्लिमों से नहीं ऊंच-नीच करने वाले षड्यंत्रकारियों से खतरा-गादरे

मेरठ:-भारतीय संस्कृति और सभ्यता को मुस्लिमों से नहीं ऊंच-नीच करने वाले षड्यंत्रकारियों से खतरा। Raju Gadre राजुद्दीन गादरे सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता ने भारतीयों में पनप रही द्वेषपूर्ण व्यवहार आपसी सौहार्द पर अफसोस जाहिर किया और अपने वक्तव्य में कहा कि देश की जनता को गुमराह कर देश की जीडीपी खत्म कर दी गई रोजगार खत्म कर दिये  महंगाई बढ़ा दी शिक्षा से दूर कर पाखंडवाद अंधविश्वास बढ़ाया जा रहा है। षड्यंत्रकारियो की क्रोनोलोजी को समझें कि हिंदुत्व शब्द का सम्बन्ध हिन्दू धर्म या हिन्दुओं से नहीं है। लेकिन षड्यंत्रकारी बदमाशी करते हैं। जैसे ही आप हिंदुत्व की राजनीति की पोल खोलना शुरू करते हैं यह लोग हल्ला मचाने लगते हैं कि तुम्हें सारी बुराइयां हिन्दुओं में दिखाई देती हैं? तुममें दम है तो मुसलमानों के खिलाफ़ लिख कर दिखाओ ! जबकि यह शोर बिलकुल फर्ज़ी है। जो हिंदुत्व की राजनीति को समझ रहा है, दूसरों को उसके बारे में समझा रहा है, वह हिन्दुओं का विरोध बिलकुल नहीं कर रहा है ना ही वह यह कह रहा है कि हिन्दू खराब होते है और मुसलमान ईसाई सिक्ख बौद्ध अच्छे होते हैं! हिंदुत्व एक राजनैतिक शब्द है ! हिं

समाजवादी पार्टी द्वारा एक बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन

 महेश्वरी देवी की रिपोर्ट  खबर बहेड़ी से  है, आज दिनांक 31 मार्च 2024 को समाजवादी पार्टी द्वारा एक बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन मधुर मिलन बारात घर बहेड़ी में संपन्न हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि लोकसभा पीलीभीत प्रत्याशी  भगवत सरन गंगवार   रहे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश महासचिव स्टार प्रचारक विधायक (पूर्व मंत्री )  अताउर रहमान  ने की , कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  अता उर रहमान  ने कहा की प्रदेश में महंगाई बेरोजगारी चरम पर है और किसान बेतहाशा परेशान है उनके गन्ने का भुगतान समय पर न होने के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हैं। उन्होंने मुस्लिम भाइयों को संबोधित करते हुए कहा की सभी लोग एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को हटाकर एक सुशासन वाली सरकार (इंडिया गठबंधन की सरकार) बनाने का काम करें और भगवत सरन गंगवार को बहेड़ी विधानसभा से भारी मतों से जिताकर माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी के हाथों को मजबूत करें | रहमान जी ने अपने सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी से कहा कि वह ज्यादा से ज्यादा इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को वोट डलवाने का काम करें और यहां से भगवत सरन गंगवार को भ

ज़मीनी विवाद में पत्रकार पर 10 लाख रंगदारी का झूठे मुकदमें के विरुद्ध एस एस पी से लगाई जाचं की गुहार

हम करेंगे समाधान" के लिए बरेली से रफी मंसूरी की रिपोर्ट बरेली :- यह कोई नया मामला नहीं है पत्रकारों पर आरोप लगना एक परपंरा सी बन चुकी है कभी राजनैतिक दबाव या पत्रकारों की आपस की खटास के चलते इस तरह के फर्जी मुकदमों मे पत्रकार दागदार और भेंट चढ़ते रहें हैं।  ताजा मामला   बरेली के  किला क्षेत्र के रहने वाले सलमान खान पत्रकार का है जो विभिन्न समाचार पत्रों से जुड़े हैं उन पर रंगदारी मांगने का मुक़दमा दर्ज कर दिया गया है। इस तरह के बिना जाचं करें फर्जी मुकदमों से तो साफ ज़ाहिर हो रहा है कि चौथा स्तंभ कहें जाने वाले पत्रकारों का वजूद बेबुनियाद और सिर्फ नाम का रह गया है यही वजह है भूमाफियाओं से अपनी ज़मीन बचाने के लिए एक पत्रकार व दो अन्य प्लाटों के मालिकों को दबाव में लेने के लिए फर्जी रगंदारी के मुकदमे मे फसांकर ज़मीन हड़पने का मामला बरेली के थाना बारादरी से सामने आया हैं बताते चले कि बरेली के  किला क्षेत्र के रहने वाले सलमान खान के मुताबिक उनका एक प्लाट थाना बारादरी क्षेत्र के रोहली टोला मे हैं उन्हीं के प्लाट के बराबर इमरान व नयाब खां उर्फ निम्मा का भी प्लाट हैं इसी प्लाट के बिल्कुल सामन