दार्जिलिंग : दार्जिलिंग के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चौरस्ता के खुला मंच पर गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नेताजी सुभाषचंद्र बोस के 123वें जयंती (23 जनवरी) समारोह में शरीक हुईं. इस मौके उन्होंने नेताजी की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की. इससे पहले ममता बनर्जी ने नेताजी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2011 में हमारी सरकार बनी. सरकार गठन होते ही हमलोगों ने पहाड़ में नेताजी की जयंती मनाने का निर्णय लिया. सुश्री बनर्जी ने कहा कि नेताजी का गोरखाओं के साथ गहरा संबंध था. नेताजी के आजाद हिंद फौज में काफी संख्या में गोरखा शामिल हुए थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के आंदोलन में गोरखाओं ने भी अहम भूमिका निभायी थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि नेताजी के जन्मदिवस पर राज्य सरकार पहले से सरकारी अवकाश की घोषणा कर चुकी है. हमलोगों ने केंद्र सरकार से भी बार-बार राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक कोई घोषणा नहीं की है. ममता बनर्जी ने कहा कि नेताजी की जन्म तिथि सभी को पता है, लेकिन निधन की तिथि कोई नहीं जानता.
मुख्यमंत्री ने कहा : काफी दिनों से मैं यह कह रही हूं कि 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित की जाये, लेकिन अबतक ऐसा नहीं हुआ. केंद्र की सत्ता में आने के बाद से भाजपा नेताजी की फाइल इधर-उधर कर रही है, लेकिन अब तक हमें यह ज्ञात नहीं हो पाया है कि नेताजी की मृत्यु कैसे हुई थी. यह हमारे लिए शर्मनाक है. ममता बनर्जी ने कहा कि नेताजी के लिए हमारे हृदय में जो जगह है, उसे कोई नहीं छीन सकता. हम उनकी दिखायी राह पर ही चलेंगे.
भारत में सभी जाति-धर्म के लोग रहते हैं, लेकिन भाजपा सरकार ने एनआरसी, सीएए और एनपीआर के जरिये देश को बांटने का काम कर रही है. भाजपा हिंदुत्व के नाम पर हिंदुओं को ही बदनाम कर रही है. समारोह में मंत्री अरूप विश्वास, इंद्रनील सेन, गोजमुमो नेता व जीटीए के पूर्व चेयरमैन विनय तमांग, अमर सिंह राई, रेफ फादर सोलोमन सुब्बा भी मौजूद थे.