शिक्षा क्षेत्र में उठाए बड़े कदम दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
ने कहा कि (Arvind Kejriwal) सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन एवं बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए बहुत बड़े कदम उठाए हैं। एक तरफ अरविंद केजरीवाल सरकार का शिक्षा मॉडल है। जिसमें सभी सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस और एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम ने बच्चों को अपने परिवारों से जोड़ा और देश की आर्थिक व्यवस्था में योगदान देने के लिए तैयार किया। दूसरी तरफ, (BJP) और (Congress) का शिक्षा मॉडल है। जिसमें दोनों गांधी जी और नेहरू जी को पढ़ाने या नहीं पढ़ाने को लेकर विवाद कर रहे हैं और महाभारत में इंटरनेट था या नहीं था, जैसे मुद्दों पर बहस कर रहे हैं।
कामों पर लड़ेंगे चुनाव
सिसोदिया ने कहा कि हम बार-बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि इस बार का चुनाव सरकार द्वारा किए गए कामों के आधार पर होना है और उसमें भी शिक्षा के क्षेत्र में हुए काम इस बार के चुनाव में अहम मुद्दा हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हमारे देश में दो प्रकार के शिक्षा मॉडल हैं, एक दिल्ली (Aam Aadmi Party) सरकार का और दूसरा बाकी राज्यों की भाजपा और कांग्रेस सरकारों का।उन्होंने दोनों प्रकार के शिक्षा मॉडल की तुलना करते हुए दावा किया कि दिल्ली सरकार ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सभी सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत की। यह (Delhi) के सभी स्कूलों में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक लागू किया गया। इसे सरकारी स्कूलों के साथ अभिभावकों की मांग पर कई प्राइवेट स्कूलों ने अपनाया। इस कार्यक्रम के बेहद ही अद्भुत नतीजे देखने को मिले हैं।
उन्होंने कहा कि अभिभावकों से बात करने पर भी पता चला कि बच्चे अब बड़े ही संवेदनशील हो गए हैं। परिवार में माता-पिता के प्रति भाई-बहनों के प्रति एक सम्मान का भाव बच्चों के अंदर और अधिक बढ़ रहा है। हैप्पीनेस करिकुलम की लोकप्रियता इतनी अधिक बढ़ गई थी कि देश के लगभग बीस राज्यों के शिक्षा मंत्री और अफसर जैसे मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, झारखण्ड, महाराष्ट्र आदि दिल्ली (Delhi) आकर हैप्पीनेस कार्यक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त कर अपने राज्यों में इसे लागू करने पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश भी इस कार्यक्रम की तारीफ करते हुए कह चुके हैं कि केवल स्कूलों में ही नहीं बल्कि न्यायालय में भी ऐसे कार्यक्रम की जरूरत है।