नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान ने एक अहम इंटरव्यू में कहा कि जल्द ही देश के हाईकोर्ट में अंग्रेजी के अलावा मातृभाषा में कामकाज होना चाहिए। पासवान ने कहा कि इस सिलसिले में उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री से हुई है और उन्होंने उनसे अदालतों में मातृभाषा को गांधीजी की 150वीं जयंती पर लागू करने को कहा है।
रामविलास पासवान ने इंडियन जूडिशियल सर्विस के गठन पर जोर देते हुए कहा कि न्यायिक सेवा आयोग की स्थापना के बाद जो कानून संसद से पारित होंगे वो अदालत में नहीं अटकेंगे। केंद्रीय मंत्री पासवान ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, हमने प्रधानमंत्री से कहा है कि अगर आपके समय में यह नहीं होगा तो फिर कभी नहीं होगा। उन्होंने कहा, तमिलनाडु के हाईकोर्ट में तमिल में सुनवाई होनी चाहिए।इसी प्रकार कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों में भी ऊंची अदालतों की भाषा वहां की मातृभाषा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक इस देश में इंडियन जूडिशियल सर्विस नहीं होगा तब तक संसद से कानून पास होता रहेगा और और कोर्ट में लटकता रहेगा। उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के विवादास्पद मुद्दे पर पासवान ने पहली बार महत्वपूर्ण बात करते हुए कहा कि गलती केवल कांग्रेस की नहीं है बल्कि उत्तराखंड की दोनों सरकारों की है।
रामविलास पासवान ने इंडियन जूडिशियल सर्विस के गठन पर जोर देते हुए कहा कि न्यायिक सेवा आयोग की स्थापना के बाद जो कानून संसद से पारित होंगे वो अदालत में नहीं अटकेंगे। केंद्रीय मंत्री पासवान ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, हमने प्रधानमंत्री से कहा है कि अगर आपके समय में यह नहीं होगा तो फिर कभी नहीं होगा। उन्होंने कहा, तमिलनाडु के हाईकोर्ट में तमिल में सुनवाई होनी चाहिए।इसी प्रकार कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों में भी ऊंची अदालतों की भाषा वहां की मातृभाषा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक इस देश में इंडियन जूडिशियल सर्विस नहीं होगा तब तक संसद से कानून पास होता रहेगा और और कोर्ट में लटकता रहेगा। उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के विवादास्पद मुद्दे पर पासवान ने पहली बार महत्वपूर्ण बात करते हुए कहा कि गलती केवल कांग्रेस की नहीं है बल्कि उत्तराखंड की दोनों सरकारों की है।