नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस मुरलीधर का तबादला पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग की ओर से देर रात इस बाबत अधिसूचना जारी की गई। अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान के अनुच्छेद 222 के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की सलाह पर न्यायमूर्ति मुरलीधर के तबादले को मंजूरी दी है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति मुरलीधर सहित 3 न्यायाधीशों के तबादले की सिफारिश सरकार को भेजी थी। न्यायमूर्ति मुरलीधर वही न्यायाधीश हैं, जिन्होंने दिल्ली हिंसा पर हुई सुनवाई के दौरान भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज न किए जाने को लेकर केंद्र सरकार और पुलिस को आड़े हाथों लिया था।
कांग्रेस ने की निंदा
कांग्रेस ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायधीश के तबादले की निंदा करते हुए गुरुवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी दबाव की राजनीति कर रही है। कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा नेताओं के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे जज के अचानक तबादले से न्यायपालिका के खिलाफ भाजपा की दबाव और बदले की राजनीति का पर्दाफाश हुआ है। उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायधीश मुरलीधर एवं तलवंत सिंह की ने दंगा भड़काने में कुछ भाजपा नेताओं की भूमिका को पहचानकर उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए एवं पुलिस को कानून के अंतर्गत तत्काल कार्यवाही करने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि आदेश दिए जाने के कुछ घंटों में ही न्याय व कानून मंत्रालय ने उनका तत्काल स्थानांतरण पंजाब व हरियाणा न्यायालय कर दिया। कांग्रेसी नेता ने आरोप लगाते हुये कहा कि अगर न्यायाधीश सरकार की नीतियों पर संविधान के अनुरूप अंकुश लगाते हैं तो मोदी सरकार बदले की भावना से काम करती है।