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कब तक मुसलमानों के लिए नफरत फैलाते और जनता को गुमराह करते रहेंगे बाजपाई


कब तक मुसलमानों के लिये नफरत फैलाते और जनता को गुमराह करते रहेंगे भाजपाई ? 
कब जनता इनको समझेगी? 
अंततः दिल्ली हार कर दिल्ली जलाने की ठान ली ।
हारेंगे तो हुरेंगे - जीतेंगे तो थूरेंगे ।। अब दिल्ली हार कर दिल्ली वालों को हूरना शुरू कर दिया ?
सीएए, एनारपी, और एनआरसी के विधरोध कर मुस्लिम समुदाय एवं दलित-पिछड़े समुदाय के अपने परिवार के साथ संविधान बचाने की कोशीश में सड़कों पर उतरे है - और भाजपा के लोग काले कानून के मर्थन में मुस्लमानों की हत्या व उनकी सम्पत्ति जला रहे हैं ? यह देश की विडंबना कहें या भाजपा आरएसएस का क़ानून? 
मामला हिन्दू मुसलमान का नहीं है । बल्कि भाजपा के दबंगाई हठ धर्मी और वर्चस्व कायम रखने और अपने नाकामी को छुपाने के लिये विशेष कर हिन्दू मुसलमान का साम्प्रदायिक माहौल बना कर नफरत फैलाया जा रहा इसके लिये स्थानीय मनचलेअपराधियों और दिल्ली पुलिस के उनलोगों को इस्तेमाल किया जा रहा है जो कहीं न् कहीं मुस्लिम समुदाय के प्रति गुमराह हो कर अपने दिलो में नफरत को दबाए हुए थे और उन्हें अचानक से एक बड़ी शक्ति ने उन्हें अपने नफरत को निकालने का अवसर प्रदान कर दिया हो और वह ऐसा हिंसक विकराल रूप धारण कर तबाही मचा देता है। 
कापिल मिश्रा कभी प्रोपर्टी डीलर हुआ करता था आम आदमी पार्टी बनने के बाद वह पार्टी में सक्रिय हुआ और इतना हो गया कि अपने पार्टी के मुख्या को ही समाप्त करने की चाल चलने लगा लेकिन समय रहते आम आदमी पार्टी के मुखिया उसकी गन्दी राजनीत को भलीभांति समझते हुए पार्टी से ही निकाल दिया और वह अपने आपको सुरक्षित कर पाए । लेकिन उसे भाजपा ने    
  उसे प्रोत्साहित कर अपने पार्टी सम्मानपूर्वक जगुह् देती है। और फिर शुरू होता इसके बदला लेने का खेल वैसे इसका ओछी हरकतों का इत्तिहास बहुत है - भाजपा ने इसे नेता बना दिया। 
भाजपा नफरत फैलाने वाली पार्टी ही बनाई गई है इसलिये इस पार्टी में जो भी लोग है वह कहीं न कही विशेष कर एक समुदाये से नफरत करने वाले ही लोग मिलेंगे । नफरत फैला कर दंगा भड़काऊ पार्टी कहना ही उचित होगा । 
इस देश मे सही मायने में हिन्दू और मुसलमान के बीच झगड़ा नही परन्तु भाजपा या संघ जिसे हिन्दू कह रहा है, वह लोग जो उनसे , उनकी पार्टी से जुड़े हुए हैं, उनके अंदर दलित, पिछड़ी, व मुसलमानों से नफरत, द्वेष  दुराग्रह यह सारी विशेषताएं देखने को मिलती है।
 आज भी हिन्दू मुसलानों एक दूसरे को गले लगाए बैठे हैं। दंगाई या दंगा भड़काने वाले कभी हिन्दू नही हो सकते और न मुसलमान , मुसलमान होना तो बहुत दूर इंसान भी नही हो सकते ।
दिल्ली जलाने के पीछे एक सोंची समझी साजिश है और इस साजिश को अंजाम देने वाला व्यक्ति सोसल मेडियाया तथा अन्य मेडियाया पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है परन्तु अभी तक कापिल मिश्रा को अरेस्ट करने के लिये दिल्ली प्रसाशन ने कोई कदम नहीं उठाया है कदम उठाना तो दूर उसके बारे सोंच भी नहीं रही है । इससे पता चलता   दिल्ली प्रशासन की कमांड संभालने वालो की सोंच की, वह कितना मजबूर है या सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा का साथी या गुलाम। 
रही न्यायालय की बात तो न्यायालय भी वही है , जिसकी लाठी उसकी भैंस। सरकार जो फैसले लेगी उस पर अपनी सहमति की मुहर लगाएगी । न्यायालय चाह कर भी कुछ नही कर सकती।
एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार)


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