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खादी आज इंडिया तक ही सीमित नहीं है



जयपुर। खादी आज केवल इण्डिया तक सीमित ना होकर खादी अपेरल्स की डिमांड यूरोपीय देशों के साथ ही यूएसए में तेजी से बढ़ी है। आज आवश्यकता है तो केवल यह कि खादी को फैशन डिजाइनिंग से जोड़कर देशी-विदेशी बाजार में इसकी पहुंच को बढ़ाया जाए। राजस्थान सरकार खादी को प्रमोट करने के लिए प्रतिवद्ध है और इसको प्रमोट करने के लिए आगे आ रही है। यह विचार मंगलवार को यहां खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में खादी को प्रमोट करने के लिए आयोजित मंथन कार्यशाला को संबोधित करते हुए राजस्थान सरकार के एसीएस उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा खादी और खादी विचारधारा से जुड़े लोगों को साझा प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के लिए ही राज्य सरकार आगे आ रही है और चिंतन मंथन के बाद सभी के सहयोग व सुझावों के अनुसार कार्ययोजना तैयार की जाएगी व नीतिगत निर्णय करते हुए प्रमोट करने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।




ख्यातनाम डिजाइनर हिम्मत सिंह ने कहा कि खादी में जान है, आवश्यकता है कि खादी परिधानों की व्यापक रेंज तैयार की जाए ताकि एलिट क्लास से लेकर आमजन को खादी रिटेल स्टोरों में उनकी पहुंच की रेंज में वस्त्र उपलब्ध हो सके। हिम्मत सिंह ने बताया कि वे खादी पर काम कर रहे हैं और विदेशों में अनेक फैशन शो आयोजित कर खादी को नए मुकाम पर पहुंचाया है। हमें समग्र प्रयास करके खादी को फैशन स्टेटमेंट बनाना होगा। खादी को प्रमोट करने के लिए हमें क्रियेशन, वियरेवल और ग्लेमर को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना होगा। खादी में जान है और इसे डिजायनर्स से जोड़कर बहुत आगे तक ले जाया जा सकता है। हिम्मत सिंह ने कहा उनकी खादी से जुड़ने की ईच्छा और प्रतिबद्धता है व खादी संस्थाओं के साथ जुड़कर उसे नया लुक, नया बाजार और ई मार्केटिंग जैसी सुविधायुक्त करने का सपना है। उन्होंने कहा कि खादी के क्षेत्र में काम करने वाले हर व्यक्ति में आत्म वंचना के स्थान पर गर्व की भावना हो, उसका जीवन स्तर सुधरें यही हमारे प्रयास होने चाहिए।

खादी को प्रमोट करने के लिए जुटे पूर्व एजी गिरधारी सिंह बाफना ने कहा कि खादी की पहुंच और प्रासंगिकता को इसी से समझा जा सकता है कि रेमण्डस जैसी प्रतिष्ठान आज खादी को लेकर बाजार में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें खादी से जुड़े कतिनों, बुनकरों और अन्य लोगों का आमुखिकरण करने की आवश्यकता है। पिछले दिनों जयपुर में आयोजित ग्लोबल खादी कॉन्फ्रेंस की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि खादी की पहचान दुनियाभर में हो चुकी है।
खादी क्षेत्र में काम कर रहे सीताराम ने बताया कि उनके द्वारा 16 माइक्रोन पर काम किया जा रहा है और उनके द्वारा तैयार खादी वस्त्रों को हाथों-हाथ लिया जाता है। वर्कशॉप में हिस्सा ले रहे डिजायनरों व अन्य ने कहा कि खादी संस्थाओं को परंपरागत दायरें से बाहर लाना होगा। स्वदेशी फ्रेबिक के रुप में स्थापित करने के साथ ही वेल्यूवल सिस्टम में लाना होगा ताकि खादी फैशन स्टेटमेंट के रुप में सामने आ सके।

आनन्द ने कहा कि वे खादी को प्रमोट करने के लिए कृतसंकल्पित है और इसके लिए सहभागिता निभाना चाहते हैं। मंथन वर्कशॉप में यह उभर कर आया कि जो दिखता है वह बिकता है, इस कंस्पेट को आगे बढ़ाते हुए हमें खादी स्टोरों की ग्रुमिंग करनी होगी तो कतिनों, बुनकरों और इससे जुड़े कारीगरों में आत्म विश्वास पैदा करना होगा।

वर्कशॉप में संयुक्त सचिव उद्योग शुभम चौधरी, सीआईआई के निदेशक नितिन गुप्ता, खादी बोर्ड के सचिव हरिमोहन मीणा, वित अधिकारी मंजू चाहर, खादी आयोग के स्थानीय निदेषक मीणा, खादी भण्डारों के प्रतिनिधि और फैषन डिजाइनरों ने हिस्सा लिया।


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