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पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को बचाने की जरूरत


शिमला। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के हरित कौशल विकास कार्यक्रम के तहत पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (पीबीआर) तैयार करने के लिए दो महीने की अवधि का कोर्स एच.पी. एनविस हब, हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद, शिमला में आज संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम पर्यावरण और वन क्षेत्र में कौशल विकास के लिए एक पहल है जिससे राज्य के युवाओं को अल्पकालिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से लाभकारी रोजगार या स्वरोजगार प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।









इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्य अतिथि डॉ. एस.एस. सामंत, निदेशक, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआई), शिमला ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण पर दुनिया भर में ध्यान देने की आवश्यकता है, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश में जहाँ वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। उन्होंने स्थानीय जैव विविधता की सराहना करने जैसे छोटे कदमों पर जोर दिया। औषधीय पौधों के नाम सीखने और पारंपरिक उपयोग की जानकारी लोगों को संरक्षण प्रयासों के बारे में जागरूक करने में बहुत मदद करेंगे। डॉ. विनीत जिश्टू, वैज्ञानिक-डी, एचएफआरआई और डॉ. अनिल ठाकुर, एसोसिएट प्रोफेसर, डिग्री कॉलेज, ठियोग भी समारोह के दौरान मौजूद थे और पाठ्यक्रम के दौरान छात्रों द्वारा दिखाए गए उत्साह से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने छात्रों से कुछ आगामी परियोजनाओं / पहलों में भाग लेने का आग्रह किया। इस कार्यक्रम में 14 छात्रों को प्रशिक्षित किया गया है: चंडीगढ़ से 1, जम्मू और कश्मीर से 1, लद्दाख से 1 और हिमाचल प्रदेश से 11।

दिन में इससे पहले, डॉ. एसपी भारद्वाज, एसोसिएट निदेशक, क्षेत्रीय फल अनुसंधान केंद्र नौणी विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति ने प्रशिक्षुओं की मौखिक परीक्षा ली।

एनविस समन्वयक, डॉ. अपर्णा शर्मा ने पाठ्यक्रम की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और बताया कि यह उल्लेखनीय है कि इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित पांच छात्रों को हिम्कोस्ट और एचएफआरआई में विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजनाओं में रखा गया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली ने इस उपलब्धि की सराहना की है और इसे जैव विविधता संरक्षण में एक महत्वपूर्ण योगदान करार दिया है। स्थानीय युवाओं के हरित कौशल विकास पर दो और पाठ्यक्रम एचपी एनविस हब में जल्द ही शुरू हो रहे हैं: मूल्य संवर्धन: जंगली मौनपालन एवं प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन: औषधीय पौधे।

कोर्स के दौरान फील्ड और लैब विजिट के लिए छात्रों को एचपी और उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में ले जाया गया। इनमे से कुछ हैं : एचएफआरआई और पॉटर हिल्स, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, वाटर कैचमेंट एरिया, कुफरी, वन अनुसंधान संस्थान, उत्तराखंड राज्य जैव विविधता बोर्ड, उत्तराखंड विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, वन्यजीव भारतीय संस्थान, बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और राजाजी नेशनल पार्क। इन गतिविधियों को मंत्रालय ने अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया। छात्रों ने जेडएसआई के हाई एल्टीट्यूड रिसर्च स्टेशन, सोलन में एमओईएफ और सीसी द्वारा आयोजित ट्रांस-हिमालय की पशु विविधता पर एक दिन के सेमिनार में भाग लिया और देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की। फील्ड ट्रेनिंग के अंतर्गत पुजारली के पास सरघीण में पीबीआर बनाने का काम एचएफआरआई के विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया। समारोह छात्रों और विशेषज्ञों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह के वितरण के साथ संपन्न हुआ।







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