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शाहीन बाग आंदोलन क्या है परिणाम

"शाहीन बाग" अपने आंदोलन के 48 वें दिन में पहुँच गया है। पर मोदी सरकार देश भर के 200 से अधिक "शाहीन बागों" की आवाज़ सुनने की बजाय उन पर अनर्गल आरोप लगा कर दिल्ली चुनाव में ध्रुविकरण करने का प्रयास कर रही है। और कुछ एजेन्सीज़ के पेड सर्वे बता रहे हैं कि इससे उसके मत प्रतिशत में कुछ बढ़ोत्तरी भी हुई है।


शाहीन बाग वालों सुन लो ?


यह आंदोलन किसी की सरकार बनाने या बिगाड़ने के लिए नहीं है , यह वजूद की लड़ाई है जिसे माँ बहन बेटियों ने यहाँ तक पहुँचाया है , तो इस चक्कर में कि इससे भाजपा को दिल्ली चुनाव में फायदा होगा , परेशान मत होना , क्युँकि अभी टीवी चैनल और बहुत से पेड सर्वे यह भ्रम फैलाने का प्रयास करेंगे कि "शाहीन बाग" के कारण ध्रुविकरण हुआ है और भाजपा फाईट में आ गयी है।


दिल्ली में भाजपा जीते या फाईट में आए ? हू केयर


हम तो शाहीन बाग से मिल रहे परिणामों पर नज़र रखे हैं।


पहला परिणाम यह है कि शाहीन बाग पर दुनिया की नज़र है , मौजूदा वक्त में यह शाहीन बाग "तहरीर स्क्वायर" से बड़ा चेहरा हो गया है , जिसकी आवाज़ "यूरेपियन संसद" तक पहुँच गयी है , वहाँ सीएए के खिलाफ बहस हो रही है , वोटिंग हो रही है। शाहीन बाग की यह सबसे पहली जीत है।


दूसरा परिणाम यह है कि इस देश में मुसलमानों पर 70 साल से हुए ज़ुल्म के खिलाफ "शाहीन बाग" इस देश की अब तक की सबसे बड़ी आवाज़ बन गया है , जिसमें हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई , सबकी आवाज़ शामिल है।


तीसरा परिणाम , इस देश में मुसलमानों के साथ देश के तमाम तमाम हिन्दू , सिख , ईसाई आकर खड़े हो गये हैं और सब मिल कर सीएए के खिलाफ़ लड़ रहे हैं। यह इस देश में पहली बार हुआ है कि मुसलमानों के साथ देश खड़ा हो गया है।


चौथा परिणाम , जो मुस्लिम महिलाएँ , चहरदिवारी में बंद गूँगी , बुर्के और परदे में मर्दों द्वारा बंद , सताई , तीन तलाक से डरी सहमी , और दबाई कह कर पूरे देश और दुनिया में संघी कुनबे द्वारा प्रचारित की गयीं , उन्होंने देश भर के शाहीन बागों के ज़रिए इस झूठी छवि को तोड़ दिया। अब यह बुर्कानशीं चैलेन्ज करती हैं तमाम स्मृति इरानियों और निर्मला सीतारमणों को कि आएँ उनसे बहस करें  , वह पराजित कर देंगी। यह आंदोलन मुस्लिम महिलाओं के शक्तिशाली होने का सबसे बड़ा प्रमाण है।


छठाँ परिणाम , देश का मीडिया अब "शाहीन बाग" को लेकर बँटता दिख रहा है। मीडिया का बहुत बड़ा वर्ग अब दलाल मीडिया के द्वारा शाहीन बाग को लेकर फैलाए भ्रम को तोड़ रहा है। 


अब तक एनडीटीवी और कुछ वेबपोर्टल के ज़रिये ही कवर किया जा रहा शाहीन बाग अब "बीबीसी , आजतक , एबीपी न्यूज़ और इंडिया टुडे" चैनलों के ज़रिये लाईव प्रसारित हो रहा है , सुधीर चौधरी और दीपक चौरसिया की साजिश को अब मीडिया ही इक्सपोज़ कर रही है, यह चैनल अंजना ओम कश्यप और राहुल कँवल के ज़रिए प्रदर्शनकारियों के बीच घुस कर निष्पक्षता से सवाल जवाब कर रहे हैं और प्रदर्शनकारी फर्राटेदार जवाब दे रही हैं , सवाल कर रही हैं जिनके जवाब सरकार के पास नहीं हैं।


सातवाँ परिणाम , मैंने संघ और उनके नालायकों की जितनी "बंच आफ थाट" और "वी ओर आवर नेशनहुड डीफाईन" पढ़ी है उससे जितना इनको समझा है वह यह है कि इस आंदोलन से पैदा हुए देश की जनता के प्रतिरोध का यह संघी नागपुर में बैठकर जोड़ घटाना कर रहे होंगे , और अब अपने किसी अन्य ज़हरीले प्रोजेक्ट पर अमल करने के पहले इस प्रतिरोध को अपने दिमाग में रखेंगे और शायद कुछ समय के लिए इसे टाल भी दें।


आठवाँ परिणाम , शाहीन बागों ने इस देश में नये नये हज़ारों नेतृत्व पैदा कर दिए हैं जिनका उभार आने वाले समय में होगा और यह अपने क्षेत्र में अपनी जनता की आवाज़ बनेंगे।


नौवाँ परिणाम , शाहीन बागों से देश की एक आबादी ने अपने हक के लिए आंदोलन करना सीख लिया है , संगठित होना सीख लिया है , आवाज़ उठाना सीख लिया है , अब ज़रूरत है देश के सभी शाहीन बागों के बीच समन्वय की जिसके लिए एक "चंद्रशेखर आज़ाद रावण" जैसा हिम्मती नेता चाहिए।


दसवाँ परिणाम , शाहीन बाग से ही देश को एक और "चंद्रशेखर रावण" मिलने जा रहा है , थोड़ा इंतज़ार करिए , यह आपको चौंकाने वाला है।


इन 10 परिणामों के अलावा , सरकार भी झुकेगी , उच्चतम न्यायालय भी सुनेगी और देश की न्यायप्रीय जनता भी सुनेगी। माँ बहन बेटियों की 1° तापमान की सर्दी में रात रात भर बैठकर विरोध करना ज़ाया नहीं जाएगा।


हिम्मत मत हारना "शाहीन बाग" वालों , तुम जीत रहे हो , हिन्दुस्तान जीत रही है।


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