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नफरत की परिणति हिंसा और हत्या नहीं हो सकती।

 ( विवेकानंद, महात्मा गांधी के देश में हिंसा का तांडव)

बीरभूम जिले के रामपुराहाट में हुई भीषण हिंसक घटना सर्वथा निंदनीय है। यह घटना तुणमुल कांग्रेस के एक पंचायत स्तर के नेता भादू शेख की कथित हत्या के कुछ घंटों के भीतर ही घटित हुई है ।कुछ लोगों ने अपने नेता की हत्या के प्रतिशोध में मकानों में आग लगा दी एवं दरवाजे बाहर से बंद भी कर दिए थे। एजेंसियों के अनुसार आग लगाने की पूर्व घर में निवास कर रहे बच्चों तथा महिलाओं के साथ मारपीट भी की गई, उसके पश्चात मकानों को भीषण आग के हवाले कर दिया गया। जले हुए बच्चों तथा स्त्री ,पुरुषों की लाशें पोस्टमार्टम करने लायक भी नहीं बचे थे, केवल हड्डियों और राख ही बची थी। इतनी क्रूर हत्या किसी नफरत की परिणति नहीं हो सकती। लोगों के बीच इतनी नफरत सदैव निंदनीय है। पश्चिम बंगाल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से शांति, सौहार्द, संस्कृति की धरोहर के रूप में माना जाता रहा है, रामकृष्ण परमहंस, विवेकानंद, रविंद्र नाथ टैगोर और इन सब से ऊपर उठकर अहिंसक महात्मा गांधी के देश में इतनी हिंसा मानवीय समझ से परे है। इन सब के ऊपर तृणमूल कांग्रेस और अन्य पार्टियों के बीच इस हत्या को लेकर राजनीति करण भी घोर निंदनीय है।
ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल में पूरी तरह हिंसा और अराजकता की संस्कृति ने अपना घर बना लिया है। पश्चिम बंगाल के इतिहास में सबसे भीषण नरसंहार को लेकर राजनेताओं की प्रतिक्रिया अत्यंत आश्चर्यजनक है। हत्या में राहत देने की बजाय वहां की सरकार ने बयान बाजी कर अपना पल्ला झाड़ना चाहा है। उन्होंने कहा की कुछ छोटी मोटी घटनाओं को छोड़कर पश्चिम बंगाल में कानून राज्य की व्यवस्था अत्यंत शांतिपूर्ण एवं व्यवस्थित है। वहां के राज्यपाल महोदय ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा के इस भीषण नरसंहार की स्थिति में राज्यपाल तथा राज भवन केवल मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता है। राज्यपाल ने वहां की सरकार को पत्र लिखकर कहा है की राजनीति से ऊपर उठकर मानवता के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
पश्चिम बंगाल में मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, इस भीषण हत्याकांड से पूरा देश स्तब्ध एवं दुखी है। पश्चिम बंगाल के पुलिस के आला अधिकारी के अनुसार रामपुरहाट के बगदुइ गांव में तड़के सुबह 8 मकानों में आग लगा दी गई, जिसमें दो बच्चे और 8 लोगों की मौत हो गई। इस भीषण नफरत के खेल में बच्चों और महिलाओं का बालको क्या दोष हो सकता है,जो इस तरह इन अबोध लोगों की भी जघन्य हत्या कर दी गई।
हत्या के बाद वृहद स्तर पर होती अमानवीय तू तू, मैं मैं को लेकर जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है। राज्य शासन का इस हत्याकांड की जिम्मेदारी से बचने का प्रयास समझ से परे है, जबकि राज्य के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल महोदय ने इसमें तत्काल संज्ञान लेकर वहां की मुख्यमंत्री को पत्र लिख तत्काल कार्रवाई कर मुआवजा देने की मांग की है। वहां के राज्यपाल ने यहां तक कहा की घटना की जांच के लिए गठित है एसआईटी संदेह से परे नहीं है वह केवल घटना को कवर करने के लिए और अपराधियों को वहां से सुरक्षित निकालने की कोशिश कर रही है।
इस संदर्भ में माननीय कोलकाता हाई कोर्ट में भी हिंसा को लेकर संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर 24 मार्च तक केस डायरी लाने के निर्देश प्रसारित किए थे । माननीय कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि क्राइम सीन पर 24 घंटे कैमरे की निगरानी रखी जानी चाहिए और कैमरे डिस्टिक जज की निगरानी में लगाए जाने चाहिए। मा,हाईकोर्ट के निर्देश पर ही संपूर्ण घटना की जांच सीबीआई द्वारा करवाई जा रही है। इतना भयानक तथा भीषण हत्याकांड संपूर्ण मानवता ही अंदर तक कांप गई है। माननीय हाईकोर्ट न्यायालय द्वारा स्वत संज्ञान लेकर इस घटना में अपनी रूचि दिखाकर सुनवाई प्रारंभ की है। यह घटना पश्चिम बंगाल के प्रशासन पर कई तरह के प्रश्न चिन्ह लगाती है, एवं उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों पर संदेह की पैदा करती है।
संजीव ठाकुर संयोजक, चिंतक, लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़, 9009 415 415  

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