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*उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद की परीक्षाओं में शर्मनाक हालात का ज़िम्मेदार कौन-?

*ज़मीं की आख़िरी तह में उतर जाने को जी चाहा ,

कुछ ऐसी हालत थी उनकी, के मर जाने को जी चाहा ।

*इस बेशर्मी के दौर में शर्म किसको आए -? 

और कौन शर्माए-? और कौन इस हालत में सुधार कराए-?

बिजनौर ( हिरा मीडिया सेंटर )

पूरे उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा परिषद की 14 मई से शुरू हुईं विभिन्न परीक्षाएं आज समाप्त हो गईं। ज़िले भर में बनाए गए परीक्षा सेंटरों ने अपनी तरफ़ से परीक्षाओं को सम्पन्न कराने के सभी उचित प्रबंध करने का दावा किया। साथ ही आज शांति पूर्ण परीक्षाओं के संपन्न होने पर चैन की सांस ली। लेकिन मदरसा शिक्षा परिषद   की यह परीक्षाएं एक नहीं अनेक सवाल खड़ा कर रहीं हैं । सेंटरों पर परीक्षार्थियों का क्या हाल रहा-? अनेक स्थानों पर परीक्षार्थियों ने दी नीचे दरी पर बैठ कर परीक्षा।





नजीबाबाद के पास साहनपुर में मदरसा फारूक उल उलूम इंटर कॉलेज में बने परीक्षा सेंटर पर जहां आस पास के 9 मदरसों के छात्र परीक्षा दे रहे हैं वहां 21 मई को ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी नौशाद हुसैन ने स्वयं निरीक्षण किया। यूं तो सभी सेंटर्स पर नकल विहीन परीक्षाएं कराने का दावा किया गया है। लेकिन परीक्षार्थियों की दुर्दशा की सेंटर्स पर साफ़ दिखाई दी। जनपद बिजनौर के साहनपुर सेंटर के अलावा स्योहारा में भी एक परीक्षा स्थल पर दरी पर बैठ कर परीक्षा देते छात्र छात्राओं को देखा गया। परीक्षा दे कर लौट रहे परीक्षार्थियों ने बताया कि बड़ी रकम लेकर परीक्षा फार्म भरने वालों ने आज आ कर नहीं देखा कि हम किस हाल में परीक्षा दे रहे हैं। 

मदरसा शिक्षा परिषद की परीक्षाओं का एक दुखद और शर्मनाक पहलू ये रहा कि बड़ी संख्या में परीक्षार्थी नदारद रहे । उपस्थिति का प्रतिशत बहुत कम और अनुपस्थित रहने वालों की संख्या बहुत अधिक रही । एक दृश्य यह है कि एक  कमरा जिसमें सिर्फ़ 2 बच्चे मदरसा शिक्षा परिषद की परीक्षा दे रहे हैं, जबकि  इस कमरे में दर्ज 24 परीक्षार्थियों में से 22 अनुपस्थित हैं । सिर्फ़ एक सीनियर सेकेंडरी और एक कामिल (1)फारसी  का उपस्थित है। दोनों ही परीक्षार्थी ज़मीन यानि दरी पर बैठ कर परीक्षा दे रहे हैं। इस एक छात्र के पास कापी के नीचे रखने के लिए भी कुछ नहीं है। इसलिए वह कभी दरी पर रखकर लिखता है तो कभी पैरों पर रखकर।

परीक्षाएं समाप्त हो गई हैं मगर दुर्दशा और शर्मनाक स्थिति ने अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं। कि उफ़! इतनी शर्मनाक हालत का ज़िम्मेदार कौन है-? इस बेशर्मी के दौर में शर्म किसको आएगी -? और कौन शर्माएगा-? और कौन इस हालत में सुधार कराएगा-?

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद या मदरसा अध्यापक या मोटी मोटी रकम लेकर फार्म भरवाने वाले या फिर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग या खुद बेचारे लाखों करोड़ों परीक्षार्थी-? किस के दिल में उतरेगी यह दुर्दशा-?

मगर मेरी हालत तो यह है :-

ज़मीं की आख़िरी तह में उतर जाने को जी चाहा ,

कुछ ऐसी हालत थी उनकी, के मर जाने को जी चाहा ।

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