स्वतंत्रता दिवस की भरपूर तैयारिया चल रही है ।
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश भर में अमृत
महोत्सव मनाया जा रहा था | दिलशाद पाँचवी क्लास
का छात्र था अंकुर उसका सहपाठी था। दोनो पक्के
दोस्त थे। 15 अगस्त को स्कूल में तिरंगा रैली और
झंडा फहराने का आयोजन किया गया था। दोनो ने
तिरंगा रैली में भरपूर भाग लिया। छुटटी होते
हो दोनो घर आ गये। दिलशाद और अंकुर
दोनो ने निर्णय लिया कि आज मस्ती करेंगे ।
घर की छत पर पतंग उडायेंगे ।
दोनो में यह
बात चल ही रही थी कि दिलशाद बोला मैम ने
पतंग उड़ाने को मना किया है। मैम ने क्लास
में आकर बताया कि देखो यह अखबार में छपी
चाहनीज मांझे से एक बच्चे का मला
गया और उसकी मौत हो गयी | मैम
सभी बच्चों को अखबार शिवाया जिसमे यह
खबर छपी थी
बच्चों से बारा कराया गया कि
बहु चाइनीज मोहने का हस्तेमाल नहीं करेंगे.
परिको के परो में मांझा फँसने से लड़पते
कबूतर को अंकुर ने आज ही देखा था
दिलशाद और अंकुर दोनो अपने- अपने घर
चले गये
देवभ
कट
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कुछ घंटो बाउ डिलशाद ने शोर सुना कि एक
मिनी बस के नीचे आ गया है ।
दिलशाह
अपने पड़ोसी अजीम के साथ बाहर रोड पर गया
जा भीड जमा थीं। लाश
बच्चा
क ऊपर एक कपडा
डाला गया था
तभी एक भाक्ते मे यादर हरवाकर
लाश का चेहरा देखा । दिलशाद और अजीम भी
भीड मे आगे
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दुर्घटनाग्रस्त
मृत बच्चा था। जिसे देखकर दिलशार बजारचीज मार्ग
और घर तक लाया ।
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अजीम ने उसे संभाला
भोड मे लोग
कुछ रहे थे एक पतंग के चक्कर में बच्चे
अपनी जान गंवा हो ।
दिलशाद आज अफसोस कर रहा था
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अंकुर एक पतंग के लिये न
के लिये 4 दौड़ा होता | काय,
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मैम का
बात मान ली होती।
काश
लूटन
उसने