बिना NEET एडमिशन लिए 891 छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया है। कॉलेजों के बाहर इन छात्रों के सस्पेंशन की नोटिस लगा दी गई हैं। वहीं सीएम योगी ने आदेश दिया कि सस्पेंड छात्रों के खिलाफ FIR और सख्त कार्रवाई न की जाए।
लखनऊ। यूपी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में एडमिशन मामले में बड़ा एक्शन हुआ है। बिना NEET एडमिशन लिए 891 छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया है। कॉलेजों के बाहर इन छात्रों के सस्पेंशन की नोटिस लगा दी गई हैं। वहीं सीएम योगी ने आदेश दिया कि सस्पेंड छात्रों के खिलाफ FIR और सख्त कार्रवाई न की जाए। इससे पहले सोमवार देर योगी सरकार ने मामले को सीबीआई के पास भेजा था।
विभागीय एक्शन के निर्देश भी जारी
यूपी सरकार में आयुष मंत्री दया शंकर मिश्र ने बताया, "जिनका एडमिशन गलत था, उन सभी बच्चों को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले में कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर डॉ. एस एन सिंह और उमाकांत यादव, प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय को भी सस्पेंड कर किया गया है।
इसके अलावा यूनानी निदेशालय के प्रभारी अधिकारी डॉ. मोहम्मद वसीम और शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय के कार्यवाहक संयुक्त निदेशक प्रो. विजय पुष्कर खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मामले में आयुष विभाग की ओर से 2 दिन पहले राजधानी लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
वर्ष 2021-22 में काउंसिलिंग के लिए आयुर्वेद निदेशालय ने बोर्ड का गठन किया था। IT सेल न होने के कारण बोर्ड की निगरानी में निजी एजेंसी सॉफ्ट सॉल्यूशन को काउंसिलिंग का ठेका दिया गया। इस एजेंसी को अपट्रान पावरट्रानिक्स लि. ने नामित किया था। एक फरवरी 2022 से शुरू हुई काउंसिलिंग प्रक्रिया 19 मई तक चार चरणों में पूरी की गई।
प्रदेश के राजकीय तथा निजी कॉलेजों में 7338 सीटों पर एडमिशन हुए। काउंसिलिंग से लेकर वेरीफिकेशन तक की जिम्मेदारी निजी एजेंसी की थी। दाखिलों के बाद सीट एलाटमेंट भी कर दिया गया। 1181 छात्रों के रिकॉर्ड नीट काउंसिलिंग की मेरिट सूची से नहीं मिले। इसके बाद भी 1181 में से 927 को सीट आवंटन किया गया था। इनमें से 891 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया।