रिपोर्ट - रफी मंसूरी
उर्से रज़वी के दूसरे दिन उर्स स्थल जामिआतुर्रजा में लाखो की तादाद में ज़ायरीन इमाम अहमद रजा कांन्फ्रेंस व मुफ़्ती ए आज़म के कुल में पहुंचे।
बरेली, उर्स प्रभारी सलमान मिया ने बताया कि क़ाज़ी ए हिंदुस्तान मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा खान क़ादरी की सरपरस्ती में इमाम अहमद रजा कांन्फ्रेंस का आगाज़ हुआ । कांन्फ्रेंस में देश व विदेश के चोटी के उलेमा ने शिरकत फरमायी और साथ ही आवाम को यह सन्देश दिया कि जन्नत का रास्ता सिर्फ मसलके आला हज़रत है, यह ही सच्चों का रास्ता है |
उन्होंने कहा कि आला हज़रत की इल्मी व रुहानी जिदंगी पर रोशनी डाली गई, आला हजरत ने पूरी दुनिया में अमन और मुहब्बत का पैगाम दिया। इसी पैगाम का नतीजा है कि दुनिया के हर देश में उनके चाहने वाले मौजूद हैं और उनकी तालीम की रोशनी में दीन की खिदमत कर रहे हैं। इसी मौके पर 134 तलबा की दस्तारबंदी हुई और उन्हें डिग्री से नवाज़ा गया | *फरमान मिया* ने बताया कि हुज़ूर ताजुश्शरिया का कुल शरीफ 7 बजकर 14 मिनट पर मनाया गया | इसके बाद उलेमा किराम ने मुफ़्ती ए आज़म हिन्द की ज़िन्दगी पर रौशनी डाली, मुफ्ती अफ़ज़ल रज़वी साहब ने मुफ़्ती ए आज़म के तक़वे व फतवों पर बयान किया, और बहार से आये उलेमा किराम ने अपने बयानात में फ़रमाया कि हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द आला हज़रत के छोटे साहबज़ादे हैं और आपको मुफ़्ती ए आज़म हिन्द के लक़ब से याद किया जाता है और आपको ताजदारे अहले सुन्नत भी कहा जाता है, आपका फतवा व तक़वा बेमिसाल है | 01 बजकर 40 मिनट पर हुजूर मुफ्ती आज़म हिन्द (मुस्तफा रजा खां) के कुल शरीफ की रस्म अदा की।
जिसमें मुख्य रूप से डॉ मेहँदी हसन, हाफिज इकराम, शमीम अहमद, मौलाना शम्स, मौलाना निजामुद्दीन, नदीम सोभानी, मोईन खान, आबिद नूरी, क़ारी मुर्तज़ा, कारी वसीम, कौसर अली, यासीन खान, सय्यद रिज़वान, अब्दुल सलाम, गुलाम हुसैन, दांनी अंसारी आदि लोग मौजूद रहे।