गाजियाबाद नगर निगम के प्रकाश विभाग के करोड़ों रुपए के घोटाले व भ्रष्टाचार को वार्ड नंबर 18 की पार्षद शशि सिंह व पार्षद पति डॉक्टर पवन गौतम द्वारा किया उजागर
आज वार्ड नंबर 18 की पार्षद शशि सिंह व पार्षद पति डॉ पवन गौतम अध्यक्ष शास्त्री नगर आर डब्लू ए के द्वारा गाजियाबाद नगर निगम के प्रकाश विभाग में हो रहे करोड़ों रुपए के घोटाले को लेकर नवयुग मार्केट उडुपी रेस्टोरेंट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें गाजियाबाद नगर निगम के प्रकाश विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले व भ्रष्टाचार को उजागर किया गया और शहर की जनता का पैसा का दुरुपयोग नगर निगम के प्रकाश विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है जिसमें
डॉक्टर पवन गौतम द्वारा प्रकाश विभाग में घोटालों व भ्रष्टाचार के प्रकरण खोले गए जिसमें पहले नंबर पर अक्टूबर माह में 5000 लाइट खरीदी गई थी जिनकी कीमत 3 करोड़ 85 लाख 83000 दिखाई थी जिनकी असल कीमत होलसेल मार्केट में 70 लाख है वह उन लाइटों के ठेकेदार की पेमेंट भी आपत्तियों के बाद रोक दी थी बिना किसी को बताए राजकुमार आश कुमार कुमार जी ने चुपचाप वो पेमेंट करा दी ताकि अपना कमीशन मिल जाए नगर निगम गाजियाबाद के पांचो जनों का मेंटेनेंस का काम प्रकाश विभाग का एक ही फॉर्म को दिया गया है जो उनकी चाहती है शशांक इलेक्ट्रॉनिक्स जबकि मेंटेनेंस का काम नगर निगम के कर्मचारी करते हैं वह किस लिए की फ्री फंड का पैसा अधिकारी और ठेकेदार की जेब में आ सके₹24 रुपए प्रति वाट का मेंटेनेंस चार्ज 120 रुपए की लाइट 24 रुपए प्रति वाट 80 रुपए की लाइट यानी की 24 ,×120= 2880 रुपए बैठते हैं फ्री फंड के ठेकेदार को मिल रहे हैं जबकि कम कर रहा है निगम का कर्मचारी जिनका वेतन नगर निगम देता है और उसी के अंदर एक प्लेट डाली जाती है जिसे पीसीबी प्लेट बोलते हैं एक ड्राइवर बोल डाला जाता है यह भी अपने खास ठेकेदारों से 10 लख रुपए की फाइल बनाकर करोड़ों रुपए के ड्राइवर और पीसीबी अब तक मांगा चुके हैं जिसका मकसद है की पुरानी लाइटों को जान पूछ कर खराब दिखाना और उसमें नया माल डालकर अपने खास ठेकेदारों को लाभ पहुंचाना तो ₹120 वाट की लाइट जिसका मेंटेनेंस 2880 रुपए प्लस 1250 रुपए की एक प्लेट प्लस ₹2100 का ड्राइवर यानी की 6320 की पुरानी लाइट रिपेयर कर रही है जबकि एक नई लाइट ₹2000 से 2500 की आ जाती है पैसों का बंदर बाट करने के लिए पुरानी लाइट को ज्यादा रिपेयर किया जा रहा है नगर आयुक्त साहब की पावर जो कि 10 लाख रुपए की फाइल बनाने है चुपचाप हर महीने दो करोड़ तक की फाइलें बनवाई जा रही है और उनका पेमेंट सीधे कराया जा रहा है एक से डेढ़ महीने के अंदर-अंदर महापौर को खबर ना लगे इसलिए 10 लाख से नीचे की फाइल बनाते हैं किसी पार्षद को खबर नहीं लगने देते है इसी कड़ी में अब तक 15000 से ज्यादा पीसीबी और 15000 से ज्यादा ड्राइवर आ चुके हैं यह टेंडर में होते तो कोई ना कोई सस्ते रेट निकलता इसलिए इन्होंने टेंडर में लिए ही नहीं साथ ही इससे भी बड़ी एक और विचित्र कहानी है जो घोटाला है स्टोर का स्टोर पर इन्होंने अपने अधिकारी हटाकर अपने कर्मचारी लगा रखे हैं जो आधा सामान गायब कर देते हैं आगे की एंट्री करते हैं जिसमें पवन निशांत आदित्य वंदना यादव शामिल है जो इनके साथ इसको कृत्य को कर रहे हैं और भी बहुत सारे घोटाले हैं नई लाइटों को खरीदने के नाम पर अब यह टेंडर नहीं कर रहे हैं नगर आयुक्त की पावर वाली 10 लाख की फाइल है बनाकर किसी में 90 लाइट खरीदी जा रही है किसी में 95 लाइट खरीदे जा रही है किसी में डेढ़ सौ लाइट खरीद जा रही है यह सब हो रहा है नगर आयुक्त की 10 लाख की फाइलों पर जैसे 45 वाट की लाइट 5800 की बाजार में होलसेल कीमत 1020 जैसे 70 वाट की लाइट नगर निगम ने खरीदी 6850 की बाजार में कीमत ₹₹1900 है 90 वाट की कीमत 10400 खरीदी है नगर निगम ने असल में कीमत ₹2700 इसी तरह से अब तक 15000 के करीब लाइट खरीदें जिसमें 10 करोड़ से ऊपर का घोटाला हो चुका है अभी तक अगर 500 टेंडर हुए हैं प्रकाश विभाग में तो 490 टेंडर अपने तीन ही फर्मों फर्मों को दिए हैं जो तीन खास इनके ठेकेदार है ओर किसी भी फर्म ने टैंडर डाला तो उसको कहते थे कि 120 लूयूमेन प्रति वाट की लाइट तुम्हारी है इसलिए आप फेल हो और खुद अपने आदमियों की फर्मों से 110 लूयूमन प्रति वाट पर ले रहे हैं अभी ओर नगर निगम गाजियाबाद के प्रकाश विभाग के ओर भी जल्दी ही 420 के घोटाले खोले जायेगे