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शोषण व अत्याचार का छत्रपति शाहूजी महाराज ने किया हमेशा विरोध रामदुलार यादव

 Report By:Tahir Ali

लोक शिक्षण अभियां ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केंद्र एक स्वरूप पार्क जीटी रोड साहिबाबाद के प्रांगण में शैक्षणिक और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत छत्रपति शाहूजी महाराज की पुण्यतिथि का आयोजन समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष वीरेंद्र यादव एडवोकेट के नेतृत्व में किया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर देवकरण चौहान ने किया, शिक्षाविद कैलाश चंद मुख्य अतिथि रहे, लोक शिक्षण अभियां ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष रामदुलार यादव मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम में


उपस्थित रहे| छत्रपति शाहूजी महाराज के चित्र पर सभी साथियों ने पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया, तथा उनके कृतित्व को जन-जन में पहुंचने का संकल्प लिया| साहू जी के सम्मान में हुकुम सिंह ने गीत प्रस्तुत किया| कार्यक्रम को राम प्यारे यादव, चंद्रबली मौर्य, राजेंद्र सिंह ने भी संबोधित किया |

 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महानगर अध्यक्ष वीरेंद्र यादव एडवोकेट समाजवादी पार्टी ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने यह समझ लिया था कि अज्ञानता, अंधविश्वास, छुआछूत, धार्मिक पाखंड आम जनता में   शिक्षा न होने के


कारण है, शिक्षा की अलख जगाई उन्होंने आर्थिक क्रांति और राजनीतिक क्रांति की जमीन तैयार की, सरकारी नौकरियों में पुरोहित वाद पेशवाई वर्चस्व को तोड़कर समाज के कमजोर वर्गों, पीड़ितों, पिछड़ों प्रताड़ितों, शोषितों के लिए सरकारी नौकरियों में 50 परसेंट आरक्षण की व्यवस्था की, छात्रावास का निर्माण किया सभी को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया, उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा की साहू जी महाराज ने दलित वर्ग के गंगाराम की चाय की दुकान खुलवाकर और स्वयं जाकर के वहां चाय पीकर यह संदेश दिया कि गैर बराबरी और छुआ छूत का कोई समाज में स्थान नहीं है, जब छत्रपति शाहूजी महाराज वहां जाने लगे तो सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी उस दुकान पर चाय पीने लगे , उन्होंने कहा कि “समाज आदेशों से नहीं संदेशों से चलता है” वह उन्होंने करके दिखा दिया |कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षा विद रामदुलार यादव ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने जब 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कमजोर वर्गों के लिए कर दी तो पेशवाई नाराज हुए और बाल गंगाधर तिलक ने एक वकील भेजा, और कहा कि छात्रों को छात्रवृत्ति और नौकरियों में आरक्षण से अयोग्य लोग चुने जाएंगे साहू जी महाराज अपने रथ में बैठाकर उस वकील को घुड़साल में ले गए और अपने करिंदों से घास और चने मंगवाई, और घोड़ों के सामने फेंकवा दिए, जो मजबूत घोड़े थे वह सारी घास और चने चट कर गए और कमजोर घोड़े को कुछ नहीं मिला इस तरह उन्होंने उसे वकील को समझा दिया, और वह निरुत्तर हो गया तथा छत्रपति शाहूजी महाराज के कार्य की सराहना करने लगा |

श्री यादव ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज समाज के कमजोर वर्गों को मुख्य धारा में लाने का भगीरथ प्रयास किया, उनका उद्देश्य समता, समानता मानवता पर आधारित समता मूलक, जाति धर्म विहीन, समाज का था वह मानवतावादी थे लेकिन आज 21वीं सदी में भी उनके विचार की समझ नहीं बना पाए उनका मानना था कि विश्व में भारत का सम्मान शिक्षा के प्रसार, प्रचार से ही संभव है| उन्होंने जीवन भर कुरीतियों और अज्ञानता को दूर करने के लिए काम किया लेकिन आज भी देश धार्मिक पाखंड असमानता और अज्ञानता का शिकार है शिक्षा और चिकित्सा पर बजट का खर्च ऊंट के मुंह में जीरा के समान है, सरकारी विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं और बंद हो रहे हैं| निजी स्कूलों और अस्पतालों में शिक्षा और चिकित्सा आम आदमी की पकड़ से बाहर हो गई है हमें यदि साहू जी महाराज के सपनों का भारत बनाना है तो शिक्षा और चिकित्सा पर ध्यान देना होगा महंगाई बेरोजगारी को दूर कर करना होगा और निर्लज्जतापूर्वक जो झूठ और भ्रष्टाचार हो रहा है उसको खत्म करना होगा|मुख्य अतिथि कैलाश चंद्र ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज मानवतावादी थे उन्होंने जीवन भर अंतिम पायदान पर खड़े लोगों के जीवन में प्रकाश की किरण आलोकित हो प्रयास किया | वह सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक और धार्मिक आजादी के पक्षधर थे समाज में व्याप्त कुरीतियों, रूढ़िवाद का समूल नाश करना चाहते थे हमें साहू जी महाराज के विचार और कृतित्व पर चलकर


क्रांतिकारी काम करने होंगे तभी हम समता मूलक समाज बना पाएंगे और सभी के साथ न्याय तभी हो पाएगा |कार्यक्रम में शामिल श्रद्धा सुमन अर्पित किया प्रमुख रहे रामदुलार यादव, मनोहर लाल कश्यप, कैलाश चंद, समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष वीरेंद्र यादव एडवोकेट, राम प्यारे यादव, वीर सिंह, सेन, ओमप्रकाश अरोड़ा, डॉक्टर देवकरण चौहान, चंद्रावली मौर्य, राजपाल यादव, हाजी मोहम्मद सलाम, हरेंद्र यादव, प्रेमचंद पटेल,, सुरेश भारद्वाज शीतल यादव ,अखिलेश शुक्ला, राजीव गर्ग, सम्राट सिंह यादव, ब्रह्म प्रकाश, मुनीम यादव, विजय मिश्रा, राजेंद्र सिंह, हुकुम सिंह, फूलचंद वर्मा, बैजनाथ रजक, अमृतलाल चौरसिया,  ताहिर अली, हरि कृष्ण, सुभाष यादव, यासीन, सभी ने स्मरण किया |

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